लिखेगा क्या कोई तुझको
तू कविता है कहानी है
कभी कवियों की बोली है
कभी खुसरो की बानी है
तू हिंदुस्तान की मिट्टी
तू गंगा जी का पानी है
धरोहर है तू अविरल है
लड़कपन है जवानी है
तुझे गीतों में ढालू तो
सवैया छंद लगती है
तुझे दोहा बनाऊ तो
तू मुक्तक बन्द लगती है
तुझे आँखों में जो ढूंढू
तू चपला सी रवानी है
तू मेरे माँ की है ममता
मेरे नाना की नानी है
लिखेगा क्या कोई तुझको
तू कविता है कहानी है
सरलता से तुझे समझू
तो गलियों से गुजरती है
अहिंसा की तू है ज्योती
प्रकाशित जग को करती है
समझ लो ऐ जगत वालों
ये भारत माँ की बिंदी है
यही भारत की गरिमा है
यही जग भर की हिंदी है
यही दिन भर उजाला है
यही रातों की रानी है
इसी पर ज्योति गर्वित है
यही जिंदगानी है
लिखेगा क्या कोई तुझको
तू कविता है कहानी है
ज्योति प्रकाश राय
भदोही, उत्तर प्रदेश
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