कन्या- मत करना अपमान हमारा सब कुछ तुमसे बाटेंगे दिन दो चार नहीं हम यह जनम तुम्ही संग काटेंगें साक्षी अनल हमारे बंधन का यह दो पल का खेल नही दो परिवारों का मिलन हुआ है दो जिश्मों का मेल नहीं दे दिया हाथ अब हाथ आपके समझो जीवन की नइया मझधार धार पतवार तुम्ही और तुम्ही रहोगे खेवइया भइया भाभी कर रहे दान है नही पिता अब दुनिया में हूँ लाड प्यार से पली बढ़ी अब रहूँ आपकी दुनिया में करना सम्मान सभी संबंधों का मै भी वचन निभाऊँगी है पावक की आन मुझे मै सुख दुःख साथ बिताऊँगी रूखी सूखी खा लूँगी उपवास भी करना सहन मुझे व्यंग बोल कर बातों में हर पल मत करना दहन मुझे ध्यान रहेगा संस्कारों का घर होगा घर कोई जेल नही दो परिवारों का मिलन हुआ है दो जिश्मों का मेल नही वर- हे धरा गगन हे अग्नि पवन यह पल सदियों अमर रहे जब तक ध्रुव तारा मंडल हो मूर्ति सुहाग हर पहर रहे जीवन संगिनी बनी हो तुम मै अपना कर्तव्य निभाऊँगा इक रोटी के दो भाग करूँगा तब साथ तुम्हारे खाऊँगा लो आज बँधा तुम संग बंधन अब यह ज्योति तुम्हारा है रहो सदा छाया मेरी मुझको भी मिल गया सहारा है ज्योति प्रकाश राय❤ भदोही उत्तर प्रदेश
मेरी कविता और कहानी और अन्य रचनाओं का एक संग्रह है, यह मेरी उपलब्धियों को मेरे साथ बनाये रखने में मेरी मदद करता है। मेरा ब्लॉग भी मेरी पहचान का एक साधन है। ज्योति प्रकाश राय I have a collection of poetry and story and other compositions, it helps me keep my achievements with me. My blog is also a tool for my identity. Jyoti Prakash Rai