Skip to main content

Posts

Showing posts from June, 2020

हिन्दुस्तान की मिट्टी

ये हिन्दुस्तान की मिट्टी है, मां के नाम से जानी जाती है इसको छू कर वीर सपूतों की, धड़कन पहचानी जाती है धरती को मां संबोधित कर, गर्व कराता है भारत चिकनी दोमट बलुई काली, पर्व मनाता है भारत इस पर आंच न आने पाए, बंदूकें तानी जाती हैं ये हिन्दुस्तान की मिट्टी है, मां के नाम से जानी जाती है गीता कुरान गुरुग्रंथ बाइबिल,सब कुछ भारत अपनाया है जब जब दुश्मन खड़ा हुआ, मिट्टी में उसे मिलाया है सरहद पर महके जो खुशबू, वीरों से पहचानी जाती है ये हिन्दुस्तान की मिट्टी है, मां के नाम से जानी जाती है

मौत

एक रात मेरी मौत से मुलाकात हो गई हाल पूछा, फिर थोड़ी सी बात हो गई उलझन में थी, कोई घर ढूंढ रही थी वो मै ही था, जिसे नजर ढूंढ रही थी कहने लगी, तुम बहुत सता रहे हो क़यामत खड़ी है, फिर भी मुस्कुरा रहे हो आज तुम्हे जिंदगी से दूर जाना है जिंदगी को छोड़ मौत अपनाना है ये आलम, ये हस्ती, ये जीवन, ये मस्ती तुझपर सब कुछ वार दूंगा चल मेरे घर, तुझे एक उपहार दूंगा लाल जोड़े में तेरा दीदार करना है तू मेरी है, तुझे प्यार करना है कह गई है आऊंगी, आज जाने दो मेरा इंतजार करो, खुद को मुस्कुराने दो अब तक मै उसका इंतजार कर रहा हूं मौत ना सही, जिंदगी से प्यार कर रहा हूं ।। ज्योति प्रकाश राय ।।

विरह

ऐ घनघोर घटा के काले बादल क्या तुम मेरा संदेशा ले जा सकते हो ? मेरे विरह, मेरे तड़प का, एक दर्द उन्हें बतला सकते हो ऐ घनघोर घटा के काले बादल क्या तुम मेरा संदेशा ले जा सकते हो ? यूं रिमझिम रिमझिम जल बरसाना जैसे आंखे बहती हैं उन्हें भिगा कर समझाना यादें उनमें रहती हैं यादों में कितनी व्याकुलता है क्या व्याकुलता दिखला सकते हो ? मेरे विरह, मेरे तड़प का, एक दर्द उन्हें बतला सकते हो ऐ घनघोर घटा के काले बादल क्या तुम मेरा संदेशा ले जा सकते हो ? उनको अपनी चमक दिखाना मेरी परछाई दर्शाना विरह जलन क्या होती है तपिश भूमि सा जल जाना मेरी अगन, मेरी तपिश का, क्या शोला भड़का सकते हो मेरे विरह, मेरे तड़प का, एक दर्द उन्हें बतला सकते हो ऐ घनघोर घटा के काले बादल क्या तुम मेरा संदेशा ले जा सकते हो ?

बहन

सौगात उसके प्यार का, हर उपहार से बढ़कर है उसका सम्मान और अधिकार, हर अधिकार से बढ़कर है उसकी हसी में इतनी मोहब्बत है कि उसकी हसी हर दिलदार से बढ़कर है मै दुनिया की हर खुशी उस पर वार दूंगा मै जीवन के अंत तक उसे प्यार दूंगा लाख संघर्ष हो मेरे जीवन में कुछ गम नहीं उसकी किस्मत उसका भविष्य संवार दूंगा एक बंधन ही नहीं वो दोस्त से बढ़कर है उसका हक उसकी राखी से बढ़कर है एक बहन ही तो है बचपन का प्यार मेरी बहन का किरदार हर किरदार से बढ़कर है ।। ज्योति प्रकाश राय

विश्वासघात

मानवता एक बार फिर शर्मसार हुई है और इसका जिम्मेदार भी मानव प्राणी ही हुआ है वह मानव जो संसार में सबसे अधिक बुद्धिमान माना जाता है। जिसके उपयोग के लिए ईश्वर ने सुंदरता की रचना की तो सबसे पहले प्रकृति को रचा, सुंदर और आकर्षक और शीतलता से परिपूर्ण प्रकृति की विशेषता और गुणवत्ता को जानने और उसका सदुपयोग करने के लिए ईश्वर ने मनुष्य को बनाया। मनुष्य ही एक मात्र वह प्राणी है जिस पर सभी जीव-जंतु पशु-पक्षी जीवन को लेकर आश्रित रहते हैं। ऐसे में यदि मनुष्य इनका साथ छोड़ भी देता है तो ये पशु-पक्षी अपना भोजन स्वयं ही ढूंढ लेने में सक्षम होते हैं। परन्तु जब मनुष्य अपने विचारों का दुरुपयोग करता है और खुद को महान दर्शाने की इच्छा से प्रकृति को अपने अनुसार मोड़ता है और ईश्वरीय सौंदर्यता को नष्ट कर अपनी कलाओं का प्रदर्शन करता है उसी क्षण मनुष्य पतन की राह पर आ खड़ा होता है। अपने सुख सुविधा के लिए प्राणी क्या से क्या कर सकता है यह कल्पना कर पाना बहुत ही मुश्किल है। किन्तु जब मनुष्य का लालच इतना अधिक बढ़ जाए कि वह निर्दोष प्राणी का जान लेना भी सूक्ष्म समझने लगे तब मानवता शर्मसार हो जाती है। जब मनुष्य बि