Skip to main content

Posts

Showing posts from September, 2023

पुष्प की आकांक्षा

ओ बाग लगाने वाले माली मुझे बचाने वाले माली तुमसे करूँ एक उम्मीद मुझको होता सुखद प्रतीत तुम्ही हो मेरे भाग्य विधाता तुम्ही से मेरा जीवन है तुम्ही से पुष्प सुगंधित हैं तुम्ही से जीवित उपवन है मुझे तोड़ कर हार बनाना वर माला या द्वार बनाना शोभा सदा बढ़ाऊँगा यदि काम तुम्हारे आऊँगा पर मेरी अर्जी अगर सुनोगे जिस दिन उसके लिए चुनोगे उस दिन मैं इतराउंगा गुणगान तुम्हारे गाऊंगा जब निकलेगी वीरों की टोली गूंजेगी जय हिन्द की बोली मैं भी शरहद पर बरसूँगा चहुँ ओर सुगंधित कर दूँगा हिन्द देश के झण्डे संग जब जब लहराया जाता हूँ मैं भारत भूमि को चूम चूम इठलाता हूँ इतराता हूँ बस एक निवेदन है माली उपयोग करो सैनिक पथ पर यह ज्योति प्रज्वलित रहे सदा अपने नित दैनिक पथ पर ज्योति प्रकाश राय भदोही, उत्तर प्रदेश

हिन्द की हिंदी

विश्वास नहीं होता है क्यूँ आज यहाँ इंसानों पर उमड़ता नही क्यूँ प्रेम आज भारत के विद्वानों पर लिखता नही लेख क्यूँ कोई, क्या शब्द सदी संग समा गए या आचार विचार वो साथ ले गए, द्वेष भावना थमा गए क्यों नही गूंजते शब्द मैथिली आकर मेरे कानों में क्यों नही समझती आज की जनता शब्द बड़े पैमानों में वही लिखावट वही बनावट अक्षर वही प्रलोभन के निर्वाचन हो या निर्वाचित या उपकरण शब्द संबोधन के जयशंकर, मुंशी और निराला, दिनकर को याद दिलाऊँगा मै ज्योति प्रकाश हिन्द की गरिमा आज यहाँ दिखलाऊँगा अंग्रेजों पर भारी थी और भारी आज भी है हिंदी जैसे अंग्रेजी महिला पर भारी पड़ती है बिंदी कितनी महत्वपूर्ण है हिंदी आज यहाँ बतलाऊँगा मै ज्योति प्रकाश हिन्द की गरिमा आज यहाँ दिखलाऊँगा प्रेम छलकता है हिंदी का जब चरण पखारे जाते हैं मस्तक ऊँचा हो जाता है जब भविष्य सँवारे जाते हैं कालिदास की रचना का सारांश यहाँ समझाऊँगा मै ज्योति प्रकाश हिन्द की गरिमा आज यहाँ दिखलाऊँगा भार्या की डांट पड़ी जो पड़ी पड़ गयी दृष्टि माँ काली की विद्या से मिल गयी विद्योतमा झुकी नजर मद वाली की सूर हुए रवि के समान तुलसी चंद्र समान बने उडगन केशवदास हुए