आज दीन दुखिया भी है मगन मेरे राम जी क्या पता क्यूँ लग गई है लगन मेरे राम जी है बहुत मन मोहिनी बाल लीलाएं आपकी अदभुत छवि रोटी लिए नगन मेरे राम जी वर्षों से था प्रतीक्षारत आज धन्य धन्य है माँ अहिल्या का शापित बदन मेरे राम जी मिथिला नगर की हर गली लालायित हो गई जब से पड़े जनक पुर में चरन मेरे राम जी इक ओर छीर सागर हैं इक ओर भूमिजा हैं दोनों से प्रेम जोड़ते यह नयन मेरे राम जी है यहाँ किसको पता होना है क्या भोर में सुबह वन जायेंगे सिय लखन मेरे राम जी विधि का विधान है यही यह आप ही की देन है आप ही में है समाहित चौदह भुवन मेरे राम जी आपने ही था रचा लंका विनाश का समय बस इसीलिए हुआ सीता हरन मेरे राम जी हैं बहुत ही भाव के भूखे दिखे शबरी के घर खाये जूठे बेर भी होकर मगन मेरे राम जी हनु सुग्रीव अंगद आप में बालि हंता आप हैं हैं संहारक मेघ रावन कुंभकरन मेरे राम जी जयघोष करता है जहाँ आज अयोध्या नाथ की यह ज्योति करता बार बार नमन मेरे राम जी ज्योति प्रकाश राय भदोही उत्तर प्रदेश
मेरी कविता और कहानी और अन्य रचनाओं का एक संग्रह है, यह मेरी उपलब्धियों को मेरे साथ बनाये रखने में मेरी मदद करता है। मेरा ब्लॉग भी मेरी पहचान का एक साधन है। ज्योति प्रकाश राय I have a collection of poetry and story and other compositions, it helps me keep my achievements with me. My blog is also a tool for my identity. Jyoti Prakash Rai