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Showing posts from January, 2021

पवित्र उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश दिवस (24-01-2021) सत्य को समर्पित जहां विष्णू महेश हैं पवित्र मातृभूमि वही उत्तर प्रदेश है कण कण में बसी यहां भक्ति भाव ज्योती रज रज में मिली यहां पवित्र प्रेम मोती मिलता जहां पे आकार ज्ञान का संदेश है पवित्र मातृभूमि वही उत्तर प्रदेश है देवगण हुए लालायित जीवन मिले यहां पर तीर्थों में तीर्थ स्थल अयोध्या बसे जहां पर जन्मे श्री राम लक्ष्मण सत्रुघ्न भरत योगी जन्म हो वहां यह लालसा किसे न होगी जन्मे श्री राम यहां इसमें कुछ उद्देश्य है पवित्र मातृभूमि वही उत्तर प्रदेश है चित्रकूट धाम जहां राम का निवास बना तुलसी प्रमाण बने मन में विश्वास बना धर्म रथ से चल पड़े राम जग को तारने पापियों का अंत किए लगे जब संहारने विश्व में प्रसिद्ध जहां आदर्श का परिवेश है पवित्र मातृभूमि वही उत्तर प्रदेश है कैलाश छोड़ शिव बसे काशी मोक्ष धाम बना यहां मृत्यु मात्र से ही पापियों का काम बना शिव के दरश मात्र से मन शांति मिले सदा काशी विश्वनाथ जपो भ्रांति सब मिटे सदा तीर्थ वो जो मोक्ष करे काशी खुद महेश हैं पवित्र मातृभूमि वही उत्तर प्रदेश है ।। ज्योति प्रकाश राय ।।

सरस्वती वंदना

हे बुद्धि देवी हे ज्ञान दायिनी, हे वीणा वादिनी हे सरस्वती हे हंसवाहिनी, हे ब्रह्मा प्रिया तुमसे है मिटती चक्षु निशा, तुमसे है जलता हिय दिया निशि प्रातः करू मै वंदना, तुमको समर्पित कामिनी हे बुद्धि देवी हे ज्ञान दायिनी, हे वीणा वादिनी।। हे विद्या विद्यमाता, हे पुस्तक धारिणी तुमसे है बहती ज्ञान गंगा, तुमसे है ज्योति दिव्यमान उत्तपन्न तुमसे है मधुरता, तुमसे है यह भारत महान खण्डित ना हो भारत धरा, रक्षा करो सौदामिनी हे बुद्धि देवी हे ज्ञान दायिनी, हे वीणा वादिनी।। हे ज्ञान की सुधामुरती, हे देवी हंसासना तुमसे है उज्ज्वल भविष्य सबका तुमसे है मिथ्या हारती उत्त्पन्न तुमसे है सत्य निष्ठा तुमसे है जग मां भारती हमे सत्य पथ पर अडिग करना हे रूप सौभाग्य दायिनी हे बुद्धि देवी हे ज्ञान दायिनी, हे वीणा वादिनी।। हे शास्त्र रूपी  हे ब्रह्मजाया, हे देवी चंडिका तुमसे सुशोभित ज्योति विद्या तुमसे है जीवन साधना तन मन धन समर्पित है तुम्हें आशीष दो हे निरंजना भटके नहीं हम धर्म से विपदा हरो मां सुवासिनी हे बुद्धि देवी हे ज्ञान दायिनी, हे वीणा वादिनी।। ।। ज्योति प्रकाश राय ।। ( उज्जवल )

परिचय

परिचय सुनूं या परिचय सुनाऊं परिचय में क्या क्या यहां मै बताऊं परिचय करा दूं इंसानियत का सबसे जो सब में है रहता छिपी बात सबसे भूख से तड़पता प्यास से विकल था वृद्ध व्यक्ति ऐसा न उसके पास बल था कराहता पुकारता दया की दृष्टि कर दो हे भाग्य के विधाता नीर वृष्टि कर दो हे सूर्य हे दिवाकर करुणामयी बनो तुम किरणों को शून्य कर दो हे चंद्रमा तनो तुम क्षिण शक्ति हो चुकी है असहाय हो चुका हूं इंसानियत ख़तम है विश्वास खो चुका हूं इंसानियत बचाने विश्वास को जगाने धर्मराज चल पड़े हैं इंसानियत है सब में यह बात फिर बताने प्रभु आज चल पड़े हैं उदंड एक राही चलता गया वहां से इंसानियत का परिचय मिलता गया वहां से आंखों से वृद्ध टुक टुक देखे न मुंह से बोले राही चला था धुन में मस्ती में पांव डाले अचानक रुका फिरा वह वृद्ध पास आया क्षमा हे वृद्ध बाबा विलम्ब ज्ञान आया सहारा मै बन रहा हूं आशीष चाहता हूं इंसानियत बनी रहे हे जगदीश चाहता हूं परिचय में ज्योति कहता प्रकाश ना बुझे यह जीवित रहे मनुष्यता विश्वास है मुझे यह।। ।। ज्योति प्रकाश राय ।। (उज्जवल)