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Showing posts from July, 2020

स्वतंत्रता दिवस

अंग्रेजी रानी का जर्रा जर्रा थहराया था जब हिन्दुस्तानी वीर सपूतों ने विजय तिरंगा फहराया था राज गुरु सुखदेव भगत सिंह आज भी गाये जाते हैं चंद्रशेखर आजाद उधम सिंह हर मुख पर दोहराए जाते हैं अंग्रेजी तोप चलाने वाला लाठी से घबराया था जब हिन्दुस्तानी वीर सपूतों ने विजय तिरंगा फहराया था यह भारत मंगल पांडे का है जिसने पहली बंदूक चलाई थी लंदन की अंग्रेजी इज्जत मिट्टी में स्वयं मिलाई थी रानी लक्ष्मी का युद्ध देख डलहौजी शीश झुकाया था तब भारत के वीर सपूतों ने विजय तिरंगा फहराया था स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हम सब को हाथ बढ़ाना है विजई विश्व तिरंगा को अंबर तक ले जाना है इस पर आंच न आने पाए आतंकी दिया बुझाना है विजई विश्व तिरंगा को अंबर तक ले जाना है ।। ज्योति प्रकाश राय ।।

बसंती हवा

ऐ बसंती हवा रुक तो जरा कुछ कहना है तुझसे सुन तो जरा ये सरहद है मेरे देश मेरे वतन की मै इसका सिपाही कसम है कफ़न कि ये बंदूक ये गोली, और खून की होली सब क़यामत है, गुन तो जरा ऐ बसंती हवा कुछ कहना है तुझसे सुन तो जरा तू वाकिब है मेरे, रहन और सहन से ये जख्म के निशा, और चोटिल बदन से ये हांथ पर निशा पहली जंग का है ये आंखों का पानी लहू रंग का है ये निशा ये रंग, कुछ चुन तो जरा ऐ बसंती हवा कुछ कहना है तुझसे सुन तो जरा मेरे गांव में रहते मेरे यार हैं मेरे बचपन के साथी बड़े दिलदार हैं मेरा घर मेरी मां है वहीं उनसे मिलने के सपने बुन तो जरा ऐ बसंती हवा कुछ कहना है तुझसे सुन तो जरा मै बेटा हूं उसका काम वतन के आना है मै खून हूं उसका सरहद से मिल जाना है गर्व करना मुझपर मेरे यारों जब मिट्टी में मिल जाऊंगा मै यार हूं तुम्हारा काम वतन के आऊंगा ।। ज्योति प्रकाश राय ।।

दूरदर्शन

अपने बचपन का दिन राफेल विमान था कार्यक्रम में सूपर शक्ति शक्तिमान था भक्ति सागर में डूबा भक्ति मय इंसान था कार्यक्रम में सूपर शक्ति शक्तिमान था रंगोली के गाने बड़े मजेदार थे चित्रहार के बहाने मिलते सब यार थे कृष्णा महाभारत रामायण महान था कार्यक्रम में सूपर शक्ति शक्तिमान था संजोग और एहसास कहानी घर घर की क़यामत से घिरी जिंदगी कश्मकश की आंखों देखी समाचार का सम्मान था कार्यक्रम में सूपर शक्ति शक्तिमान था सत्यम शिवम् सुंदरम दूरदर्शन था प्यारा हिन्दी फीचर फिल्म मनोरंजन था हमारा हर समस्या का बस दूरदर्शन समाधान था कार्यक्रम में सूपर शक्ति शक्तिमान था ।। ज्योति प्रकाश राय ।।

ख़त

कभी वो सुबह लिखते हैं कभी वो शाम लिखते हैं। मै जब भी उन्हें याद करता हूं वो ख़त मेरे नाम लिखते  हैं।। मै जब भी उदास होता हूं तन्हाइयां मुझे सताती हैं वो अपनी मोहब्बत में खुशी का पैग़ाम लिखते हैं मै जब भी उन्हें याद करता हूं। वो ख़त मेरे नाम लिखते हैं।। हर शख्स दीवार उठाने आता है मेरे और उनके मोहब्बत के दरमियान वो हर दीवार गिराने का अंज़ाम लिखते हैं मै जब भी उन्हें याद करता हूं। वो ख़त मेरे नाम लिखते हैं।। तारीफ में उनकी मै क्या क्या कहूं बस इतना ही जान लेना खयाल उनका वो दिल से नमस्ते कलम से सलाम लिखते हैं मै जब भी उन्हें याद करता हूं। वो ख़त मेरे नाम लिखते हैं।।

लद्दाख

ये हिन्दुस्तान है, जीने का आसार बता देगा मित्रता में अनुभव, अधिकार बता देगा इसे तोड़ने की कोशिश भी मत करना दुनिया के नक्शे से, आकार मिटा देगा लद्दाख नहीं है साझे की, ना ही किसी का हिस्सा है हर व्यक्ति पड़ोसी हक चाहे, यह जन्म जन्म का किस्सा है यदि आंख उठाएगा कोई, उसके अहंकार मिटा देगा ये हिन्दुस्तान है, नक्शे से आकार मिटा देगा जोरदार का झटका, पाक अभी जो झेला है ये शत्रुओं से प्यार है, जो भारत ने खेला है इस बार मिला जो चीन अकड़ कर उसको मिलने का संस्कार बता देगा ये हिन्दुस्तान है, नक्शे से आकार मिटा देगा ।। ज्योति प्रकाश राय ।।