प्रकृति संचार बेटियां सृष्टि अधिकार बेटियां
नूतन आकार बेटियां प्रीत स्वीकार बेटियां
जब गूंजती हैं किलकारियां बेटियों के रूप में
मन मुग्ध होते हैं सभी देख भवानी स्वरूप में
खिलती कली हैं बेटियां बगिया बहार बेटियां
चंचल गली हैं बेटियां निर्मल विकार बेटियां
बेटियां ही जग सृष्टि हैं बेटियां ही हिय दृष्टि हैं
न ही किसी मन की व्यथा ना ही अनाशिष्ट हैं
घर से विदा होती हैं जब बारात के संग बेटियां
लेकर चली जाती हैं सब जज्बात संग बेटियां
पूज्यमान हैं बेटियां तिरस्कार मत करना कभी
पुष्प ही देना सदा काँटों को मत भरना कभी
आती हैं जब बन कर बहू उपहार संग बेटियां
मानों प्रफुल्लित हो उठी घर द्वार संग बेटियां
स्वर्ग से सुंदर बनाती प्रेम से हर रिश्ते निभाती
हो नही घर में अंधेरा ज्योति से ज्योती जलाती
हैं सहज सुंदर सरल जलधि आकार बेटियां
गीता गंगा सी पवित्र हैं सोलह श्रृंगार बेटियां
कर लो अब स्वीकार सब जीवनाधार बेटियां
आशीष दो कीर्तिमान हों ज्योति दुलार बेटियां
ज्योति प्रकाश राय
भदोही, उत्तर प्रदेश
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