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Showing posts from January, 2023

यह कौन नशा है

 वो हो जाए चाहे और किसी का पर दिल में उसके कौन बसा है देखा चंदा, देखा सूरज, अच्छा है वो सबसे अच्छा, यह कौन नशा है आँख नशीले होठ रसीले हैं उसके हाथ में कंगन पाँव में पायल प्यारे हैं पाँव के प्यारे पायल में फिर कौन फँसा है वो सबसे अच्छा है, यह कौन नशा है मधुशाला पी कर देख लिया, फर्क नहीं उसका प्याला, क्या प्याला है, तर्क नहीं उसका प्याला सुन, फिर कौन हँसा है वो सबसे अच्छा है, यह कौन नशा है

रश्म-ए-वफ़ा

 आज रश्म-ए-वफ़ा निभाने चले हैं हम हाँ टूट कर फिर मुस्कुराने चले हैं हम कितना दर्द है मोहब्बत में जुदा होना इस भरी महफ़िल में बताने चले हैं हम रौशन है सारा संसार आज बिजली से फिर भी दिल-ए-ज्योति जलाने चले हैं हम उनके यादों को दबाना ऐसा लगता है सागर की लहरों को दबाने चले हैं हम

मकर संक्रांति

 मकर राशि में कर गए प्रवेश मिट गया रोग कट गए क्लेश धरा गगन तक बढ़ी मिठास छाया जन - जन में उल्लास खिचड़ी लोहड़ी है पर्व प्यारा स्नान और दान है गर्व हमारा लेडुआ ढुंढा लाई और गट्टा चूड़ा  दही  दूध  और  मट्ठा आलू दम का स्वाद लुभाए सुन कर मुह में पानी आए खेल कूद संग हँसी ठिठोली चिड़िया चहकी कोयल बोली गंगा जी हैं भू-लोक पधारी धन्य हुए ऋषि-मुनि नर-नारी भीष्म पितामह परलोक सिधारे वसुदेव कृष्ण सन्मुख हो हारे जय जय हो सूर्य देव नारायण अभिनंदन है हो रहे उत्तरायण ज्योति करे कर जोरि प्रार्थना पूर्ण करो जन जन की साधना