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Showing posts from September, 2021

बेटियां

प्रकृति संचार बेटियां सृष्टि अधिकार बेटियां नूतन आकार बेटियां प्रीत स्वीकार बेटियां जब गूंजती हैं किलकारियां बेटियों के रूप में मन मुग्ध होते हैं सभी देख भवानी स्वरूप में खिलती कली हैं बेटियां बगिया बहार बेटियां चंचल गली हैं बेटियां निर्मल विकार बेटियां बेटियां ही जग सृष्टि हैं बेटियां ही हिय दृष्टि हैं न ही किसी मन की व्यथा ना ही अनाशिष्ट हैं घर से विदा होती हैं जब बारात के संग बेटियां लेकर चली जाती हैं सब जज्बात संग बेटियां पूज्यमान हैं बेटियां तिरस्कार मत करना कभी पुष्प ही देना सदा काँटों को मत भरना कभी आती हैं जब बन कर बहू उपहार संग बेटियां मानों प्रफुल्लित हो उठी घर द्वार संग बेटियां स्वर्ग से सुंदर बनाती प्रेम से हर रिश्ते निभाती हो नही घर में अंधेरा ज्योति से ज्योती जलाती हैं सहज सुंदर सरल जलधि आकार बेटियां गीता गंगा सी पवित्र हैं सोलह श्रृंगार बेटियां कर लो अब स्वीकार सब जीवनाधार बेटियां आशीष दो कीर्तिमान हों ज्योति दुलार बेटियां ज्योति प्रकाश राय भदोही, उत्तर प्रदेश

भजन

मोह अपने भगत से लगा लेना राम मोह अपने भगत से लगा लेना राम वो तो जपता है राम राम राम राम राम वो तो जपता है राम राम राम राम राम उसके आँखों में तेरी छवी है बसी उसके आँखों में तेरी छवी है बसी तुझे देखे तो होवे जो बिगड़े हैं काम वो तो जपता है राम राम राम राम राम मोह अपने भगत से लगा लेना राम मोह अपने भगत से लगा लेना राम वो तो जपता है राम राम राम राम राम वो तो जपता है राम राम राम राम राम उसके जीवन की अनमिट कहानी हो तुम उसके जीवन की अनमिट कहानी हो तुम तुमसे होता सब शुरू तुम पे होवे है विराम वो तो जपता है राम राम राम राम राम मोह अपने भगत से लगा लेना राम मोह अपने भगत से लगा लेना राम वो तो जपता है राम राम राम राम राम वो तो जपता है राम राम राम राम राम आओ आओ सियापति लखण के सहित आओ आओ सियापति लखण के सहित हम सब करते हैं तुमको हृदय से प्रणाम वो तो जपता है राम राम राम राम राम मोह अपने भगत से लगा लेना राम मोह अपने भगत से लगा लेना राम वो तो जपता है राम राम राम राम राम वो तो जपता है राम राम राम राम राम ज्योति प्रकाश राय भदोही, उत्तर प्रदेश

अटल जी

 अटल जी कहानी है अटल की ही बानी है अटल आज जानिए अटल भूमि भारत हैं अटल कर्म धारक हैं अटल आज मानिए अटल तेज ज्योती हैं अमूल्य अटल मोती हैं अटल प्रेम पालिए अटल राष्ट्र भक्ति हैं अटल हिंद शक्ति हैं अटल को संभालिए अटल हिंद धारा हैं हिंद को संवारा है अटल हिंद कवि पुकारिये अटल बम की ऊर्जा हैं पोखरण की पुर्जा हैं कवि को रवि पुकारिये अटल धैर्य धारक थे भ्रष्ट के संहारक थे अटल मित्र की कथा अटल राष्ट्र नेता थे शत्रु पर विजेता थे अटल चरित्र की जथा अटल प्रेम दर्पण थे राष्ट्र को समर्पण थे अटल मात्र एक थे चौबीस दल के वंदन थे कृष्ण कृष्णा के अटल पात्र एक थे अटल गुण के ज्ञानी थे अटल स्वाभिमानी थे अटल धैर्यवान थे अटल देशभक्त थे अटल सख्त सख्त थे अटल युग महान थे अटल हिंद बालक थे अटल हिंद रक्षक थे अटल अविराम हैं अटल भी पितामह थे अटल संघ रक्षक थे अटल को प्रणाम है

हिंदी

 लिखेगा क्या कोई तुझको तू कविता है कहानी है कभी कवियों की बोली है कभी खुसरो की बानी है तू हिंदुस्तान की मिट्टी तू गंगा जी का पानी है धरोहर है तू अविरल है लड़कपन है जवानी है तुझे गीतों में ढालू तो सवैया छंद लगती है तुझे दोहा बनाऊ तो तू मुक्तक बन्द लगती है तुझे आँखों में जो ढूंढू तू चपला सी रवानी है तू मेरे माँ की है ममता मेरे नाना की नानी है लिखेगा क्या कोई तुझको तू कविता है कहानी है सरलता से तुझे समझू तो गलियों से गुजरती है अहिंसा की तू है ज्योती प्रकाशित जग को करती है समझ लो ऐ जगत वालों ये भारत माँ की बिंदी है यही भारत की गरिमा है यही जग भर की हिंदी है यही दिन भर उजाला है यही रातों की रानी है इसी पर ज्योति गर्वित है यही जिंदगानी है लिखेगा क्या कोई तुझको तू कविता है कहानी है ज्योति प्रकाश राय भदोही, उत्तर प्रदेश

मान बढ़ाती हिंदी

 हिंदी दिवस देश का मान बढ़ाती हिंदी मधुर है जिसकी भाषा अंतरमन जिसकी महिता प्रेम लिप्त कंकड़ में जिसके मधुर देश की सरिता संस्कृत से उत्पन्न हुई और विद्यमान है जग भर में ऐसी सुंदर रसिक पंक्ति में प्रस्तुत है हिंदी कविता भक्तिकाल की भाषा हिंदी भारत की अभिलाषा हिंदी विद्वानों की जिज्ञासा हिंदी जीवन की मृदुभाषा हिंदी गौरवमय की ज्ञान है हिंदी भारत की पहचान है हिंदी देवताओं का वरदान है हिंदी काल से भी बलवान है हिंदी अद्भुत छवि दिखलाती हिंदी जीवन सफल बनाती हिंदी स्वप्नों के महल सजाती हिंदी छन्द अनेकों बतलाती हिंदी ब्रजभाषा और अवधी बोली मगही कन्नौजी और मैथिली भोजपुरी मालवी और बघेली ज्ञान बिखेरे हिंद की बोली आदि आदि की खोज है हिंदी ज्योति समर्पित रोज है हिंदी नही किसी पर बोझ है हिंदी गर्व कराती प्रतिभोज है हिंदी ऊँचे शिखर चढ़ाती हिंदी सुंदर तस्वीर मढ़ाती हिंदी प्रेम का पाठ पढ़ाती हिंदी देश का मान बढ़ाती हिंदी ज्योति प्रकाश राय भदोही, उत्तर प्रदेश

मेरा हिंदुस्तान

 काव्य प्रभा मंच 13-08-2021 विषय - ये मेरा हिंदुस्तान है शीर्षक- मेरा हिंदुस्तान तुर्की अफगानी ने हमको लूटा मित्र बना कर के हम रहे अतिथि सत्कारों में वो गए इत्र लगा कर के फिर भी अपनी यही भावना अतिथि सदा भगवान है प्रेम व्याप्त है जन - जन में ये मेरा हिंदुस्तान है अंग्रेजों ने हृदय टटोला घात लगाया फिर कुछ बोला मूक बधिर के जैसे हम दिखने में बिल्कुल ही भोला आँखों से दया छलकती अपनी अलग पहचान है प्रेम व्याप्त है जन - जन में ये मेरा हिंदुस्तान है कण कण में शंकर रहते हैं रोम रोम में राम हैं भक्ति भाव और परोपकार में पूरे चारों धाम हैं यही बसा है संस्कारों में यही ज्योति स्वाभिमान है प्रेम व्याप्त है जन - जन में ये मेरा हिंदुस्तान है हरित क्रांति और अगस्त क्रांति हम दोनों की पूजते हैं अपने अधिकारों के खातिर दिल-ओ-जान से जूझते हैं छल और कपट नहीं है हम में इससे हम अंजान हैं प्रेम व्याप्त है जन - जन में ये मेरा हिंदुस्तान है गर्व है हमको देश पर अपने इसमें बसती जान है यही हमारा तन- मन- धन यही हमारी शान है तो फिर ज्योति कहे ना क्यूँ मेरा भारत महान है आओ हम सब मिलकर बोलें ये मेरा हिंदुस्तान है ज्योति

अतीत

अतीत मेरे अतीत की दुनिया है तू , तेरे अतीत का किस्सा हूं मै। मेरी जिंदगी का हिस्सा है तू , तेेरी जिंदगी का हिस्सा हूं मै।। पल जो बीते संग वाले , याद अब आये बहुत। पास रह कर ना सताया , अब तू क्यूं सताये बहुत।। तेरे अतीत का प्रभात हूं मै , मेरे अतीत की दिशा है तू । तेरी जिंदगी का हिस्सा हूं मै , मेरी जिंदगी का हिस्सा है तू । जो गुनगुनाए अब तलक , वो गीत मेरे नाम के । अब याद भी आऊं बहुत , तो याद अब किस काम के ।। मेरे अतीत की कहानी है तू , तेरे अतीत का किस्सा हूं मै । मेरे जिंदगी का हिस्सा है तू , तेरे जिंदगी का हिस्सा हूं मै । मेरे अतीत की दुनिया है तू । तेरे अतीत का किस्सा हूं मै । ।। ज्योति प्रकाश राय ।।

खगराज जटायू

 वीर जटायू के जीवन का वर्णन करो तुम्ही हे राम तुम्ही अहिल्या के उद्धारक तुम्ही वृद्ध सबरी के धाम ज्योति कलम की आभा के तुम्ही सुबह दोपहर शाम तुम्ही प्रमाणित करते हो वीर जटायू  रावण संग्राम सुनकर सिया विलाप जटायू हुन्कार भरे नभ में छाए त्रैलोक विजेता रावण पर सिया हरण आरोप लगाए कहा जटायू हे रावण क्या यही भुजाओं में बल है कपटी बन हरण करे नारी का यही शक्ति प्रबल है लानत है बीस भुजाओं पर इन पर गुमान क्या करना मर चुके नेत्र से तुम मेरी कायर तुझसे रण क्या लड़ना अट्टहास करता रावण तू मुझको आज डराता है मेरे प्रांगण में रहकर मुझ पर ही रौब जमाता है चल चल रे निर्बल तू खग है मै तुझको छोड़ रहा तेरा मर्दन क्या करना क्यू मौत से नाता जोड़ रहा पर्वत समान काया लेकर पंखों से वायु झकोरे हैं अरुण पुत्र वीर जटायू रावण को आज बटोरे हैं इस तरह प्रहार किया खग ने विजय पताका टूट गया शक्ति हीन समझा जिसको वह शक्ति वेग से लूट गया कानों के कुंडल टूट गिरे रावण ओझल घबराया है आज दसानन प्रथम बार ऐसे खग से टकराया है कर के सचेत बोला पक्षी ऐ रावण काल बनी सीता खर दूषण से समझ ले तू है राम प्रिया जननी सीता सुंदर नयनों वाली यह अब स

ग़जल

 ना जीने की तमन्ना है ना मरने का बहाना है किस तरह करू रुखसत अपना ही बेगाना है ऐ मेहताब बता दे तू क्या हिज्र बताऊँ मैं हो गया हू मै खाली अब लुट रहा खजाना है सुनता न कोई दिल की दिलदार भले हैं सब पागल हो कर फिरता हर सख्स दिवाना है मेरे यार जरा सुन ले यह दौर फरेबी है लूटे है वही तुझको जिसे यार बचाना है अब तो छिप जा ऐ आफताब बादलों में किसे तेरी जरूरत है औ किसे जगाना है शहर की क्या गलती वो कहा सिखाया कुछ सीखे हैं लोग खुदी कहा आग लगाना है ना जाने क्यूँ लगती यह तस्वीर तेरी प्यारी हर सख्स खिंचा आता क्या दर्द मिटाना है रूठा है खुद का दिल खुद के ही दिल से ऐ ज्योति दिल-ए-नादा आलम ये सयाना है ज्योति प्रकाश राय भदोही, उत्तर प्रदेश

हिंदी में हस्ताक्षर

हिंदी भाषा हमारे जीवन की अभिन्न हिस्सा है, जिसके बिना इस जीवन की कल्पना कर पाना भी असम्भव है। कहने का तात्पर्य यह है कि हम भले ही भारत के किसी भी प्रांत में हों और अपने क्षेत्रीय भाषा के आधार पर ही अपनी सर्व शिक्षा संपन्न कर लें। किंतु बिना हिंदी जाने हम भारत को नहीं जान पायेंगे, और जब हम अपने भारत को ही नहीं जान पायेंगे तो फिर हम शिक्षित कैसे कहलाएंगे। इसलिए हिंदी बोलना, हिंदी पढ़ना और हिंदी लिखना अनिवार्य है। और होना भी चाहिए, क्योंकि हम जिस देश में रहते हैं जहाँ हमारा जन्म हुआ है वह देश हिंदुस्तान कहलाता है। हिंदी भाषा हम भारत वासियों की धरोहर है जिसे हमारे पूज्य पूर्वजों ने परम्परा के अनुसार हमारी संस्कृति में इस तरह से पिरोया है की हम इसे अपनी सामाजिक सभ्यता का स्वरूप मानते हैं। जब बात हमारी संस्कृति और संस्कारों की आए तो हमारे मस्तिष्क में देवभाषा संस्कृत अपने आप ही परिक्रमा करने लगती है। भले ही हम संस्कृत पढ़ने या समझने में असहज महसूस करते हैं किंतु सत्य तो यही है कि हिंदी की उत्पति संस्कृत भाषा से ही हुई है। और हम अपनी इस मातृभूमि की धरोहर हिंदी को आज अलग - अलग प्रांतों में भिन

उपकार

मुक्तक ऋण चुका ना सकू आपके प्यार का मै भुला ना सकू वक़्त उपकार का आपकी है कृपा जो यहा हू खड़ा आपके सामने मै ना अधिकार का आप मेरे गुरू आप ज्ञाता हुए आप ही प्रेरणा आप दाता हुए आपकी नीतियों से मिला है बहुत आप ही भाग्य के भी विधाता हुए दीन दुखियों का मै भी सहारा बनू बह चुकी नाव का मै किनारा बनू कर सकू प्यार उपकार मै भी कहीं हो कृपा इस तरह शिष्य प्यारा बनू माँ की ममता मिली पितु का प्यार है मिला गुरु की भक्ती मिली हिय का द्वार है खुला ना भूल सकता हूँ मै प्रभु के उपकार को ध्यान आपका किया जीवनाधार है मिला सूर्य को जान लू चंद्र पहचान लू वायु को कैद कर द्रव्य संज्ञान लू ज्योति माना प्रभू गुरु का उपकार है आप गुरु में बसे आज यह मान लू ज्योति प्रकाश राय

राम

 रघुवंश शिरोमणि शीलता, सालीनता तुम्ही हो राम विश्वामित्र की यज्ञ रक्षा, मारीच दीनता तुम्ही हो राम हे राम तुम्ही पाषाण के, हर कण कण मे व्यापित मिथिला नगर की सोभनीय, सुंदरता तुम्ही हो राम जनकपुर की जनक पुत्री, सीता के हिय का प्रेम हो शिव धनुष विदारक, ऋषि मद संहारक तुम्ही हो राम तुम्ही लखण की शक्ति हो, तुम्ही भरत की भक्ति हो तुम्ही शत्रुघ्न धर्म रथ, मंथरा की मंत्रणा तुम्ही हो राम माँ कौशल्या के मोह तुम ही, कैकई विद्रोह तुम ही सुमित्रा उर्मिला धैर्य तुम, पिता वियोग तुम्ही हो राम तुम ही वन गमन का रास्ता, तुम चित्रकूट से वास्ता तुम पंचवटी की कथा, सिया हरण भी तुम्ही हो राम तुम्ही जटायू मोक्ष दाता, तुम्ही सबरी भाग्य विधाता तुम्ही सुग्रीव की मित्रता, बालि हंता तुम्ही हो राम तुम्ही उदधि की माप हो, तुम्ही विभीषण संताप हो तुम्ही लंक विध्वंस हो, हनुमान हिय तुम्ही हो राम तुम्ही घातिनि ब्रह्म शक्ति, तुम्ही संजीवनी रूप हो  मेघ रावण मोक्ष तुम हो, लंका पराजय तुम्ही हो राम तुम्ही जगत में व्याप्त हो, तुम्ही मोक्ष को प्राप्त हो तुम्ही ज्योति की प्रेरणा, प्रकृति प्रदाता तुम्ही हो राम रघुवंश शिरोमणि शीलता, स