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Showing posts from October, 2019

एकता दिवस

एकता दिवस आज दिनांक ३१ अक्टूबर है, हम और आप आज के दिन को  एकता दिवस  के रूप में मना रहे है! एकता क्या है ? और इसका अर्थ क्या है ? यह जानना बेहद जरुरी है, आज के समय में बहुत से लोग ऐसे है जिन्हे एकता शब्द तो पता है लेकिन यह किस तरह से हमारे जीवन में कायम रहेगी इसका अनुमान नहीं लगा सकते और अंततः अन्य कोई भी विपरीत व्यक्ति मौके और परिवर्तित समय का लाभ उठा लेता है! एकता का सबसे बड़ा उदाहरण है "अपने आपको अपने परिवार के प्रति समर्पित करना" परिवार वह नाटक का मंच है जहाँ हर व्यक्ति का अपना एक अलग किरदार होता है लेकिन जब सभी पात्र अलग अलग स्वरुप में होते हुए भी एक ही मंच पर अपनी कला प्रदर्शित करते है तो दर्शक उन सभी कलाकारों को एकता का प्रतीक मानते हैं! यह एकता हमें तब देखने को मिलती हैं जब हम अपने किसी दोस्त को किसी दूसरे व्यक्ति से लड़ते-झगड़ते देख लेते हैं! और यही एकता आज हमें अपने देश के प्रति जागरूक भी बना रही है और कहीं ना कहीं एक अच्छे और सच्चे नागरिक होने का कर्तव्य भी समझा रही है! किन्तु एक होने का यह अर्थ नहीं होना चाहिए की जनसंप्रदाय का जन्म हो जाये, एकता का उदाहरण बहु

मुंबई पुलिस

कहते है शख्त प्रशासन है, मुंबई शहर के अंदर में यदि इसे प्रशासन कहते है, तो क्या फर्क पुलिस और बन्दर में ? मानवता खो गयी पुलिस की, छा गयी क्रूरता चौकी में इंसान भगा शैतान जगा, छिप गयी एकता खाकी में मुंबई वडाला टी टी क्षेत्र, चौकी में गुण्डाराज बढ़ा विजय सिंह का जीवन हरने, पुलिसों में यमराज चढ़ा  ना बम फोड़ा ना गाय कटी, उसके हाथो जज्बातों से फिर भी वह प्राण हीन हुआ, शासन के घूंसो-लातों से  जब साँस आखिरी उम्मीद आखिरी, पानी का वह मांग करे अंतिम क्षण तक विजय लड़ा, और पुलिस नहीं का राग भरे  आ रही शर्म सरकार राज्य पर, जो कुर्सी-कुर्सी करती है एक अड़े है पांच वर्ष पर, इक आधे-आधे पर मरती है  उस माँ की हालत क्या जाने, सरकार अभी तक सोई है पत्थर हो गए नेत्र ममता के, जो बेटा-बेटा रोई है विश्वास करे अब लोग कहाँ, कैसे कह दे सब ज्ञानी हैं ज्योति प्रकाश की कलम कहे, धरती पर सब मनमानी है तब्दील हो गया विजय सिंह, महाराष्ट्र के अख़बारों में शासन की चौकी से उठ कर, चिपक गया दीवारों में कानून के रक्षक कानून के पालक, तुमसे ही दुनिया चलती है सरकार करे इंसाफ विजय का, आग्रह जनता करती है  धन्यवाद। 

महिमा अपने क्षेत्र की ( जिला भदोहीं )

जिला भदोहीं रंग निराला, कालीन नगर कहावे ! बोली में है प्रेम की भाषा, हर्षित मन हो जावे !! मुख्य कार्यालय और तहसील, "ज्ञानपुर " राजे ! जेल-कचहरी आसपास संग, हरिहर घंटा बाजे !! बाइस मौजा क्षेत्र है मूसी, बसे राय सब ज्ञानी ! रहे अलग पर बनी एकता, एक रहे मृदुबानी !! आगे बढ़ चलो बाजार पुकारे, गोपीगंज हमारा ! सुविधा है संभव सब कुछ, बस और रेल के द्वारा !! जाओ काशी या प्रयाग, या विंध्य धाम तुम जाओ ! निकलो घर से सुमिरि पवन सुत, सुन्दर दर्शन पाओ !! आगे चले जहाँ कुछ, है इतिहास पुराना ! जंगीगंज के शाही सड़क पर, जिसका बना निशाना !! था वीर विजय भान सिंह, सिरोही गांव का वासी ! रक्षा करता रंक समाज का, यूँ बना रहे उदवासी !! लम्बी यह कथा नहीं है छोटी, चलो कदम दो - चार ! नमन करो सेमराध नाथ को, आ गये शिव के द्वार ! लगता श्रावण मास  में मेला, गूंजे बम-बम बोल ! प्रतिदिन आते भक्त यहाँ पे, बजे नगारे-ढोल !! दक्षिण चलें जरा हम देखें, कोनिया बड़ा ही प्यारा ! तीन तरफ से गंगा बहती, जीवन धन्य हमारा !! स्थल सिया समाहित का, करता जग उजियारा ! निकट खड़े हैं राम

जिला भदोहीं

जिला भदोही अपने आप में एक अनोखा शहर है ! जहाँ अपने देश ही नहीं बल्कि विदेशों से बड़े - बड़े कारोबारियों के लिए कालीन बना कर उन्हें निर्यात किया जाता है ! कालीन बनाने की एक अद्भुत कला यहाँ के लोगों में बसी हुई है ! शायद इसीलिए इस जिले को कालीन नगर भदोही नाम के साथ जोड़ा जाता रहा है ! बड़े - बड़े उद्दोगपतियों का यहाँ आना इस छोटे से शहर को गर्व महसूस कराता है ! यहाँ के लोगों की बोली इतनी सुसज्जित होती है की मानो आपको सम्मान दे कर खुद को समर्पित करने के जैसा हो ! भारतीय परंपरा की एक अद्भुत मिसाल केंद्र बिंदु है भदोही, धर्मस्थल की बात करें तो जिला भदोहीं भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है कोइरौना क्षेत्र में विराजमान बाबा सेमराध नाथ धाम जहा प्रतिदिन भजन -कीर्तन करते भक्त लोग नजर आते हैं ! यहाँ भगवान शिव जी पृथ्वी में १२ फिट अंदर विराजते हैं और अपने सभी भक्तों की मनोकामनायें पूर्ण करते हैं ! यहाँ एक और खास जानकारी उपलब्ध होती है आपको, भदोही जिला में ही भारत की सबसे ऊँची हनुमान जी की प्रतिमा है जिसकी ऊंचाई १०८ फिट है यह प्रतिमा गोपीगंज जी. टी. रोड से होकर धनतुलसी रोड पर स्थित सीता समाहित स्थल सीताम