तुम्ही हो दुर्गा तुम्ही हो काळी
तुम ही अष्टभुजाओं वाली
तुम ही माता भारती,है आरती
है आरती, है आरती..........
पड़ा कभी जब कष्ट से पाला
तुमने आ कर हमें सम्हाला
जब भी तुमको याद किया माँ
तुमसे जब फरियाद किया माँ
हो कष्ट सभी तुम टाराती, है आरती
है आरती, है आरती............
हिंगलाज में तुम्ही हो मइया
पालनहार और तुम्ही खेवइया
रक्तबीज को तुम्ही संहारा
भैरव को तुमने ही उबरा
तुम ही सबको सँवारती, है आरती
है आरती, है आरती...........
पहली आरती मणिकर्णिका
दूसरी आरती विंध्याचल में
तिसरी आरती कड़े भवानी
चौथी आरती माँ जीवदानी
पाँचवी यहाँ पुकारती, है आरती
है आरती, है आरती..............
कहे ज्योति हे शैल भवानी
अरज सुनो दुर्गा महारानी
विपदा सबकी पल में हर लो
दया दृष्टि हम पर भी कर लो
मेरि आँखें राह निहारती, है आरती
है आरती, है आरती..........।।
ज्योति प्रकाश राय
भदोही, उत्तर प्रदेश
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