Skip to main content

Posts

Showing posts from May, 2020

भाग्य

हर व्यक्ति के भाग्य में, कुछ ना कुछ होना लिखा है । कर्मवीर बन, कर्म कर, होने दे जो होना लिखा है ।। भाग्य था जीवित रहे, प्रहलाद कब चिंतन किये । हरि चेष्टा हर भाग्य पर, हरि स्वयं मंथन किये ।। भाग्य था ध्रुव भक्त का, हरि गोद में जीवन खिला । जगमग करे आकाश में, लाखों में ध्रुव तारा मिला ।। भाग्य था माता अहिल्या, श्री राम से मुक्ति मिली । भाग्य था जंगल बसी, सवरी को भी भक्ति मिली ।। क्यूं व्यर्थ चिंता तू करे, भाग्य में क्या कैसा लिखा । परे हो जो मनु बुद्धि से, तू कर्म कुछ ऐसा दिखा ।। कर्म ही प्रधान, कर्म ही महान, कर्म ही है ज्योति तेरा । कर्महीनता त्याग, तू  जवान, छाया नहीं पथ अंधेरा ।। संघर्ष कुछ परिपूर्ण कर, मत सोच अब रोना लिखा है । अडिग,अथक प्रयास कर,सफल भाग्य होना लिखा है ।। हार मत स्वीकार कर, हार ना होना लिखा है । कर्मवीर बन,कर्म कर, होने दे जो होना लिखा है ।। ।। ज्योति प्रकाश राय ।।

विवाद

बात चाहे जो भी हो बहस उसे विवाद तक लाकर खड़ा कर देती है। और विवाद का परिणाम हमेशा बुरा ही साबित हुआ है, विवाद अपनों को ही निगल जाने का या अपनों से दूर करने का बहुत बड़ा और गलत रास्ता है जिस पर खड़ा व्यक्ति कभी सही लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाता है। यही हुआ उस दिन जोखू और जग्गी दो सगे भाईयों के बीच जोखू - (पत्नी कमला से कहते हुये) यही जग्गिया की शादी बीत जाये किसी तरह फिर को कुछ उधार बाढ़ी रहेगा सबका चुकता कर शान्ती से जीवन बिताना है। कमला - हा सब कुछ तुम्हीं को करना है, और करोगे क्यूं नहीं, जिम्मेदारी जो ओढ़ लिए हो सर पर, मै मानती हूं बड़े हो करना तुम्हारा फर्ज है लेकिन जग्गी को भी  तो समझना चाहिये न की उसका अब जिम्मेदारियों के प्रति आपका साथ चाहिये। जग्गी दोस्तों के साथ बात करते हुए आ ही रहा था कि गांव में झगड़े की आवाज सुन दौड़ पड़ा। वापस आने के बाद जोखू ने कहा तुझे कुछ अपने घर की भी चिंता फिकर है कि नहीं। दिन भर आवारागर्दी ही करता है, कल रिश्ता आने वाला है मै क्या कहूंगा किसी को कि मेरा जग्गी दोस्तों के साथ दिन भर घूमता है। जग्गी - आवारागर्दी मत कहो जोखू भइया मै और मेरे मित्र व्या

मजदूर व्यापार

  मुझमें भी उत्साह भर गया जोश देख मजदूरों में सूंघे महक पसीनो की किस्मत है मगरुरों में हमने वह खड़ी इमारत की जिसमे वो आज सुरक्षित हैं हमने ही उसके छत ढाले और हम ही उससे वंचित हैं हम श्रमिक हुए मजदूर हुए इसमें क्या गलती मेरी थी तू मालिक हुआ मुनाफे का फिर भी क्यों जलती तेरी थी जो रखे तिजोरी में पैसे उसमे कुछ हिस्सा अपना है हरदम श्रमिकों का हनन हुआ अधिकार मिले यह सपना है गली बंद बाजार बंद है बंद जगत संसार है मानवता की कर रहे तस्करी मजदूर बना व्यापार है खच्चर की तरह भरे श्रमिक से पैसे लेकर व्यापार किए ऐसे दुखदाई कलिकाल में मजदूरों पर अत्याचार किए मर गए बिना घर पहुंचे जो क्या सेठ किराया भर देगा भ्रष्टाचारी फौज परिवहन क्या जीवन वापस कर देगा कुचले रौंदे मजदूर गए हर बार हनन गरीबों का रणनीति लगाने घर बैठे दिन रात मनन तरकीबों का हर बार पिसे हैं दीन दुखी उनका ही छिना निवाला है हे ईश्वर साक्षी बन न्याय करो जब ज्योति जले तो उजाला है ।। ज्योति प्रकाश राय ।।

खुशनुमा जमाना

आज एक फसाना बयां कर दूं पुरानी बातों को फिर से नया कर दूं उन दोस्तों के साथ, वक्त बिताना याद आया एक दूसरे को यूं ही, ठोकर लगाना याद आया वो आम का पेड़, वो पत्थरों का ढेर किसी गुच्छे पर, जम कर निशाना लगाना लगे तो शाबाशी, नहीं तो पीछे हट जाना वो गिल्ली डंडे की बहार, ना तीज ना त्योहार फिर भी मजे करना, सबका मजाक उड़ाना हर कोई हंसमुख था, और खुशनुमा जमाना हर शाम आइस पाइस, होती थी कौन कितना है तेज, आजमाइश होती थी चांदनी रात के उजाले में हम दिखा करते थे एक लालटेन चौतरफा दोस्त, किताब लिखा करते थे साथ जाना साथ आना, वो स्कूल का जमाना आठ आने का चूरन, सब मिलकर खाना हर कोई हंसमुख था, और खुशनुमा जमाना ऐ वक्त फिर मिला दे, उन्हीं बचपन के यारों से जरूरतों में जिंदगी लटकी है, कहीं चारदीवारों से ऐ दोस्तों जोड़ दो अपना नाम, ज्योति के सितारों से मैं आ रहा हूं गांव, यारों तुम भी चले आना कुछ कह रहा पांव, यारों सच सच बताना लौट आएगा क्या, बीता बचपन पुराना जब, हर कोई खुश था, और खुशनुमा जमाना ।। ज्योति प्रकाश राय ।।

मै तुम्हारा हूं

अपने दिल में, मेरे प्यार का अहसास रखना सारी कायनात एक तरफ, मैं तुम्हारा हूं, बस इतना विश्वास रखना ये वादियां, ये घटायें, ये मौसम, ये हवायें सब कुछ मैं छोड़ दूंगा, बस मेरा दिल अपने पास रखना मैं तुम्हारा हूं, बस इतना विश्वास रखना ये चांदनी रात , सितारों की चमक ये ठंडी हवायें , फूलों की महक बारिश की बूंदे , सहलाये बदन को जलता बदन , बढ़ाये अगन को क़यामत से लड़ने का, अभिलाष रखना मैं तुम्हारा हूं , बस इतना विश्वास रखना मैं तुम्हारा हूं , बस इतना विश्वास रखना ।। ज्योति प्रकाश राय ।।

अनकहा वक्त

एक रोज तुमने कहा था मुझसे कुछ कहूं तो समझना तो क्या समझना, समझना है तो वो समझो जो अनकहा वक़्त कहे। पढ़ना जानते हो तो इन अनकही आखों को पढ़ लो, महसूस करो अनछुआ लम्हा जो धमनियों में रक्त बहे।। अनसुना कुछ भी ना रहा तेरा अनकहा कुछ भी ना रहा मेरा शराफत की चादर कब तक लपेटेंगे हम जब लम्हों ने कर दिया तेरा - मेरा जब हम अपने पन में जीते थे, एक दूजे की निगाहों से पीते थे। नाश मुक्त होकर भी नशीले थे हम, सच में - तब बड़े रंगीले थे हम। क्यूं कसक अब भी कुछ कहने की है? अभी और कुछ अनकहे रहने की है। अनसुनी बातों पर विश्वास मत करना, शायद आदत अब भी उसी मझधार में बहने की है। ।। ज्योति प्रकाश राय ।।

भारत माता की जय बोल

रटते- रटते विश्वास बढ़ा है,भारत माता की जय बोल बढ़ते बढ़ते आकाश चढ़ा है,भारत माता की जय बोल सत्य अहिंसा के पथ से, सीख मिली है भक्ती की इंकलाब के नारों से, पहचान मिली है शक्ती की जानों अपने देश की गाथा, आजादी के नारों को प्रतिशोध लक्ष्य में उधम सिंह, गोली मारी हत्यारों को इंसाफ मिला शहीद कुआं को, भारत माता की जय बोल मिट गया आज था धुआं धुआं, भारत माता की जय बोल गुलाम देश आजाद कराने, बच्चा - बच्चा टकराया था सुखदेव,गुरु,आस्फाक़,भगत ने,अपना परचम लहराया था देश की नारी शक्ति को, अंग्रेजो ने शीश झुकाया था रानी लक्ष्मीबाई ने, तलवार स्वयं लहराया था अमर वीरांगना नारी है, भारत माता की जय बोल झांसी की गरिमा भारी है, भारत माता की जय बोल देशभक्ति के कर्तव्यों को, सीखो और सिखाना तुम घर में नौनिहाल बच्चों को, आजादी की बात बताना तुम शास्त्री,तिलक,जवाहर,गांधी, लड़े सत्य की गंगा पर मंगल,आजाद, बोस मिट गए, लहरें जो इसी तिरंगा पर आओ मिलकर सम्मान करें, भारत माता की जय बोल हम देशभक्ति गुणगान करें, भारत माता की जय बोल ।। ज्योति प्रकाश राय ।।