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उपकार

मुक्तक


ऋण चुका ना सकू आपके प्यार का

मै भुला ना सकू वक़्त उपकार का

आपकी है कृपा जो यहा हू खड़ा

आपके सामने मै ना अधिकार का


आप मेरे गुरू आप ज्ञाता हुए

आप ही प्रेरणा आप दाता हुए

आपकी नीतियों से मिला है बहुत

आप ही भाग्य के भी विधाता हुए


दीन दुखियों का मै भी सहारा बनू

बह चुकी नाव का मै किनारा बनू

कर सकू प्यार उपकार मै भी कहीं

हो कृपा इस तरह शिष्य प्यारा बनू


माँ की ममता मिली पितु का प्यार है मिला

गुरु की भक्ती मिली हिय का द्वार है खुला

ना भूल सकता हूँ मै प्रभु के उपकार को

ध्यान आपका किया जीवनाधार है मिला


सूर्य को जान लू चंद्र पहचान लू

वायु को कैद कर द्रव्य संज्ञान लू

ज्योति माना प्रभू गुरु का उपकार है

आप गुरु में बसे आज यह मान लू


ज्योति प्रकाश राय

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