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Showing posts from November, 2021

प्रश्न

 चार महीने की ये मोहब्बत, फिर बंजर कर के जाना सुन बादल तू ही बतला धरती पर क्या आरोप लगाना तेरे विरह की पीड़ा में किस तरह जिस्म झुलसाते हैं प्रेम किए जो नदी - नहर सब तुझमें सिमटते जाते हैं तेरे प्रेम के कारण ही दुनिया को अपनी गहराई बताना सुन बादल तू ही बतला धरती पर क्या आरोप लगाना काले रंग की क्या शोभा जो पक्षी भी पागल फिरते हैं बोले पपीहा मोर नाचते वन उपवन हिलते डुलते हैं सुन सबकी अभिलाषा सबके हृदय अनुराग जगाना सुन बादल तू ही बतला धरती पर क्या आरोप लगाना क्या है तेरी आवाजों में क्यूँ सुनकर बेचैनी बढ़ती है क्यूँ विरहन पिय बिन पागल हो करवट खूब बदलती है तन मन की और रन वन की काम है तेरा आग बुझाना सुन बादल तू ही बतला धरती पर क्या आरोप लगाना बस तेरे एक बूँद को पा कर कैसे उपवन खिलता है आ देख कभी इस धरती पर कैसे जीवन मिलता है स्वार्थ से तू आता जाता फिर क्या तुझसे प्रीत लगाना सुन बादल तू ही बतला धरती पर क्या आरोप लगाना ज्योति प्रकाश राय भदोही, उत्तर प्रदेश

भोजपुरी गीत

लड़का जाने कवने कलम से भगिया लिखाइल मिल के हम तोहरा से मिल नाही पाइल हमारा पे तोहरा के केतना गुमान रहल जाने न जाने दिल केतना नादान रहल तोहरे जिनगिया के बिगारि हम आईल मिल के हम तोहरा से मिल नाही पाइल याद जब आवेला तोहरा मिलन हो आँख भरि जाला करी का जतन हो लागे ला अइसन जईसे नदी बा समाइल मिल के हम तोहरा से मिल नाही पाइल खुशिया मिले तोहके हमे मिली गम हो राम करे तोहरा पे अइसन करम हो गइल नाही हमसे पिरितीय निभाईल मिल के हम तोहरा से मिल नाही पाइल अँखिया से तोहरे न आवे कभो पानी आज खत्म कइदेब आपन जिंदगानी फिर से सुरतिया न तोहके देखाइल मिल के हम तोहरा से मिल नाही पाइल ज्योति प्रकाश राय भदोही, उत्तर प्रदेश लड़की तोहरा के देखले से मिले ला सुकून हो बिना तोहरे देहियाँ मे खून नाही खून हो तोहरे ना रहले से हमसे ना रहाइल मिल के हम तोहरा से मिल नाही पाइल