ऐलान करो भारत बंदी का, मत ध्यान रखो प्रगति की मंदी का। जब-जब मन का गति मंद हुआ, तब-तब यह भारत बंद हुआ। क्या नेता यही पढ़ा करते, या गठबंधन में गढ़ा करते। कुछ तो करतब दिखलाना है, चलो भारत बंद कराना है। ऐ राजनीति से खेलने वालों, क्या परंपरा को भूल गये। कुर्बान हुये जो वीर पुरुष, उस लहू, धरा को भूल गये। मत अपमान करो भारत माँ का, यह देश नहीं इक नारी है। सुत कुर्बान हुये जिनकी रक्षा में, उस माँ की महिमा प्यारी है। ऐ सिंहासन के चाहने वालों, क्या मिलता है इस बंदी से। यदि शिक्षित हो तो मत रोको, बढ़ते कदमो को डंडी से। मानो कहना संत पुत्र का, यह देश नहीं मेरा घर है। भारत माँ की जय गूंजेगा, हिन्द देश का प्रेम अमर है। ।। ज्योति प्रकाश राय।। https://youtu.be/F9B3J5bGXyo
मेरी कविता और कहानी और अन्य रचनाओं का एक संग्रह है, यह मेरी उपलब्धियों को मेरे साथ बनाये रखने में मेरी मदद करता है। मेरा ब्लॉग भी मेरी पहचान का एक साधन है। ज्योति प्रकाश राय I have a collection of poetry and story and other compositions, it helps me keep my achievements with me. My blog is also a tool for my identity. Jyoti Prakash Rai