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Showing posts from 2019

भारत बंद

ऐलान करो भारत बंदी का, मत ध्यान रखो प्रगति की मंदी का। जब-जब मन का गति मंद हुआ, तब-तब यह भारत बंद हुआ।                                                 क्या नेता यही पढ़ा करते, या गठबंधन में गढ़ा करते।                                                  कुछ तो करतब दिखलाना है, चलो भारत बंद कराना है। ऐ राजनीति से खेलने वालों, क्या परंपरा को भूल गये।  कुर्बान हुये जो वीर पुरुष, उस लहू, धरा को भूल गये।                                                  मत अपमान करो भारत माँ का, यह देश नहीं इक नारी है।                                                   सुत कुर्बान हुये जिनकी रक्षा में, उस माँ की महिमा प्यारी है।  ऐ सिंहासन के चाहने वालों, क्या मिलता है इस बंदी से।  यदि शिक्षित हो तो मत रोको, बढ़ते कदमो को डंडी से।                                                   मानो कहना संत पुत्र का, यह देश नहीं मेरा घर है।                                                    भारत माँ की जय गूंजेगा, हिन्द देश का प्रेम अमर है।  ।। ज्योति प्रकाश राय।।  https://youtu.be/F9B3J5bGXyo

अपना परिचय

मै जगह आपके दिल में बनाने आया हूँ ,                             महफिलों से कारवां सजाने आया हूँ।  बड़ी दूर का सफर था, मै आप लोगों से बे-खबर था  मीठे अल्फाज सुनने और सुनाने आया हूँ,                              महफिलों से कारवां सजाने आया हूँ।  जहाँ उद्योग कालीन का छाया है,                                यह शख्स जिला भदोहीं से आया है मै अपनी पहचान बताने आया हूँ,                                महफिलों से कारवां सजाने आया हूँ। यह संत पुत्र , आज मंच पर बोल रहा, दो टूक शब्द जो लिख पाया, उसमे खुद को तोल रहा, निखरेंगे शब्द पंक्तियों से, विश्वास दिलाने आया हूँ                                महफिलों से कारवां सजाने आया हूँ। अद्भुत और अलौकिक यह, रंग मंच इतिहास रहे, वाह वाह क्या बात है के इस प्रांगण में,                                कविवर ज्योति प्रकाश कहे।  गीतों की माला ले कर, ह्रदय लगाने आया हूँ,                                   महफिलों से कारवां सजाने आया हूँ। ।। ज्योति प्रकाश राय।। 

पुलिस-प्रशासन

यदि आज के युग में भारत सीना तान कर दुश्मनों का सामना करने में सफलता प्राप्त कर रहा है तो वहीं देश को खोखला साबित करने में भी यहाँ की जनता कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है! हालात ये हो गए हैं की राजनितिक दलों को लेकर यहाँ हर कोई मर मिटने को तैयार हो जाता है और इसी तरह से माहौल को और हवा देने में कोई भी कसर नहीं छोड़ने वाली पार्टियाँ भड़काऊ बयान दे कर लोगों में आक्रोश पैदा कर लोगो के जन -जीवन को अस्त-व्यस्त करने में जुटी हुई हैं ! कानून के रक्षक ही आज कानून के भक्षक बने हुए फिर रहे हैं ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जैसे मानवता ख़त्म हो कर क्रूरता के वेश में दैत्य हर किसी को अपने वश में कर लिया हो और जहा चाहे जिसे चाहे नुकशान पंहुचा रहा हो ! हम बात कर रहे है कानून को पैदा करने, कानून को बढ़ावा देने, कानून का सञ्चालन करने वाले हमारे अपने देश की राजधानी दिल्ली शहर की ! एक तरफ जहा घरेलू विवाद या किसी अन्य समस्या को सुलझाने या उस समस्या को सूचित करने के लिए पुलिस चौकी में जाते हैं वही आज पुलिस यह तक देखने के लिए राजी नहीं है की उनके द्वारा चलाये गए पत्थर या हथियार कही किसी ऐसे व्यक्ति को चोट तो नहीं पंह

एकता दिवस

एकता दिवस आज दिनांक ३१ अक्टूबर है, हम और आप आज के दिन को  एकता दिवस  के रूप में मना रहे है! एकता क्या है ? और इसका अर्थ क्या है ? यह जानना बेहद जरुरी है, आज के समय में बहुत से लोग ऐसे है जिन्हे एकता शब्द तो पता है लेकिन यह किस तरह से हमारे जीवन में कायम रहेगी इसका अनुमान नहीं लगा सकते और अंततः अन्य कोई भी विपरीत व्यक्ति मौके और परिवर्तित समय का लाभ उठा लेता है! एकता का सबसे बड़ा उदाहरण है "अपने आपको अपने परिवार के प्रति समर्पित करना" परिवार वह नाटक का मंच है जहाँ हर व्यक्ति का अपना एक अलग किरदार होता है लेकिन जब सभी पात्र अलग अलग स्वरुप में होते हुए भी एक ही मंच पर अपनी कला प्रदर्शित करते है तो दर्शक उन सभी कलाकारों को एकता का प्रतीक मानते हैं! यह एकता हमें तब देखने को मिलती हैं जब हम अपने किसी दोस्त को किसी दूसरे व्यक्ति से लड़ते-झगड़ते देख लेते हैं! और यही एकता आज हमें अपने देश के प्रति जागरूक भी बना रही है और कहीं ना कहीं एक अच्छे और सच्चे नागरिक होने का कर्तव्य भी समझा रही है! किन्तु एक होने का यह अर्थ नहीं होना चाहिए की जनसंप्रदाय का जन्म हो जाये, एकता का उदाहरण बहु

मुंबई पुलिस

कहते है शख्त प्रशासन है, मुंबई शहर के अंदर में यदि इसे प्रशासन कहते है, तो क्या फर्क पुलिस और बन्दर में ? मानवता खो गयी पुलिस की, छा गयी क्रूरता चौकी में इंसान भगा शैतान जगा, छिप गयी एकता खाकी में मुंबई वडाला टी टी क्षेत्र, चौकी में गुण्डाराज बढ़ा विजय सिंह का जीवन हरने, पुलिसों में यमराज चढ़ा  ना बम फोड़ा ना गाय कटी, उसके हाथो जज्बातों से फिर भी वह प्राण हीन हुआ, शासन के घूंसो-लातों से  जब साँस आखिरी उम्मीद आखिरी, पानी का वह मांग करे अंतिम क्षण तक विजय लड़ा, और पुलिस नहीं का राग भरे  आ रही शर्म सरकार राज्य पर, जो कुर्सी-कुर्सी करती है एक अड़े है पांच वर्ष पर, इक आधे-आधे पर मरती है  उस माँ की हालत क्या जाने, सरकार अभी तक सोई है पत्थर हो गए नेत्र ममता के, जो बेटा-बेटा रोई है विश्वास करे अब लोग कहाँ, कैसे कह दे सब ज्ञानी हैं ज्योति प्रकाश की कलम कहे, धरती पर सब मनमानी है तब्दील हो गया विजय सिंह, महाराष्ट्र के अख़बारों में शासन की चौकी से उठ कर, चिपक गया दीवारों में कानून के रक्षक कानून के पालक, तुमसे ही दुनिया चलती है सरकार करे इंसाफ विजय का, आग्रह जनता करती है  धन्यवाद। 

महिमा अपने क्षेत्र की ( जिला भदोहीं )

जिला भदोहीं रंग निराला, कालीन नगर कहावे ! बोली में है प्रेम की भाषा, हर्षित मन हो जावे !! मुख्य कार्यालय और तहसील, "ज्ञानपुर " राजे ! जेल-कचहरी आसपास संग, हरिहर घंटा बाजे !! बाइस मौजा क्षेत्र है मूसी, बसे राय सब ज्ञानी ! रहे अलग पर बनी एकता, एक रहे मृदुबानी !! आगे बढ़ चलो बाजार पुकारे, गोपीगंज हमारा ! सुविधा है संभव सब कुछ, बस और रेल के द्वारा !! जाओ काशी या प्रयाग, या विंध्य धाम तुम जाओ ! निकलो घर से सुमिरि पवन सुत, सुन्दर दर्शन पाओ !! आगे चले जहाँ कुछ, है इतिहास पुराना ! जंगीगंज के शाही सड़क पर, जिसका बना निशाना !! था वीर विजय भान सिंह, सिरोही गांव का वासी ! रक्षा करता रंक समाज का, यूँ बना रहे उदवासी !! लम्बी यह कथा नहीं है छोटी, चलो कदम दो - चार ! नमन करो सेमराध नाथ को, आ गये शिव के द्वार ! लगता श्रावण मास  में मेला, गूंजे बम-बम बोल ! प्रतिदिन आते भक्त यहाँ पे, बजे नगारे-ढोल !! दक्षिण चलें जरा हम देखें, कोनिया बड़ा ही प्यारा ! तीन तरफ से गंगा बहती, जीवन धन्य हमारा !! स्थल सिया समाहित का, करता जग उजियारा ! निकट खड़े हैं राम

जिला भदोहीं

जिला भदोही अपने आप में एक अनोखा शहर है ! जहाँ अपने देश ही नहीं बल्कि विदेशों से बड़े - बड़े कारोबारियों के लिए कालीन बना कर उन्हें निर्यात किया जाता है ! कालीन बनाने की एक अद्भुत कला यहाँ के लोगों में बसी हुई है ! शायद इसीलिए इस जिले को कालीन नगर भदोही नाम के साथ जोड़ा जाता रहा है ! बड़े - बड़े उद्दोगपतियों का यहाँ आना इस छोटे से शहर को गर्व महसूस कराता है ! यहाँ के लोगों की बोली इतनी सुसज्जित होती है की मानो आपको सम्मान दे कर खुद को समर्पित करने के जैसा हो ! भारतीय परंपरा की एक अद्भुत मिसाल केंद्र बिंदु है भदोही, धर्मस्थल की बात करें तो जिला भदोहीं भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है कोइरौना क्षेत्र में विराजमान बाबा सेमराध नाथ धाम जहा प्रतिदिन भजन -कीर्तन करते भक्त लोग नजर आते हैं ! यहाँ भगवान शिव जी पृथ्वी में १२ फिट अंदर विराजते हैं और अपने सभी भक्तों की मनोकामनायें पूर्ण करते हैं ! यहाँ एक और खास जानकारी उपलब्ध होती है आपको, भदोही जिला में ही भारत की सबसे ऊँची हनुमान जी की प्रतिमा है जिसकी ऊंचाई १०८ फिट है यह प्रतिमा गोपीगंज जी. टी. रोड से होकर धनतुलसी रोड पर स्थित सीता समाहित स्थल सीताम

कारगिल दिवस

उनको धूल चटा कर हमने झुकने पर मजबूर किया ! जो चौकी तक चोरी से चढ़ आये, उनको चकना चूर किया !! फिर आज विजय दिन भारत का है, झण्डा फिर से लहराना है ! भारत माता की जय बोलो, कारगिल दिवस मनाना है !! जय हिन्द जय भारत ( २६ जुलाई २०१९ ) !! ज्योति प्रकाश राय !! 

यारी प्यार की

हमारे गम में वो शरीक हो ना सके, उस वक्त खुशियाँ बे-शुमार थी वहाँ ! बनाये हम भी थे बड़ी सिद्दत से, महफ़िल के कारवां ! वो लुत्फ़ खुशियों का लेने में मगरूर हो गए यहाँ गम में हम चकना-चूर हो गए जीने का नायाब तरीका हमने भी अपना लिया ! खुद के गम को दिल में दबा कर, उनके संग मुस्कुरा लिया !! !! ज्योति प्रकाश राय !! 

मजा- दिल से दिल तक

मजा जीत में भी है, मजा हार में भी है मजा प्रीत में भी है, मजा प्यार में भी है ! मजा खेल में भी है, मजा जेल में भी है मजा है तो महफ़िल है, मजा मेल भी है ! मजा स्वीकार में भी है, मजा इंकार में भी है मजा इकरार में भी है, मजा इजहार में भी है ! मजा हमारे होठों से हो कर गुजरता है मजा तुम्हारे कानों को छू कर संवारता है ! मजा किसी की नफरतों में भी होता है मजा खुशियों में बिखरता है ! मजा तन्हाई में भी मिलता है, मजा गहराई में भी मिलता है मजा कलियों को छूने में भी आता है, मजा फूलों में भी खिलता है ! मजा खुश रहने के अंदाज में है बस ये जान लो, की मजा हर किसी के राज में है !! !! ज्योति प्रकाश राय !! 

जिंदगी का अफसाना

ऐ महफिलों के शौक रखने वाले , इक दिन खुद महफिल बन जाना है ! कौन यहाँ पर अपना है , कौन यहाँ बेगाना है !! आहट पा कर आने की , जो आज बदलते हैं रहें ! कल आगे पीछे घूमेंगे , देंगे कन्धा देंगे बाहें !! जी लो अपनी दुनिया को , कुछ और नहीं ले जाना है ! कौन यहाँ पर अपना है , कौन यहाँ बेगाना है !! यदि पास नहीं दौलत तेरे , तो क्यूँ तुमको गम होता है ! जिसके घर में भरा खजाना , उसके पास भी गम होता है !! नहीं यहाँ फुरसत में कोई , यही बड़ा अफसाना है ! कौन यहाँ पर अपना है , कौन यहाँ बेगाना है !! मीठे बोल, बोल कर तुम , सबसे हाँथ मिलाना सीखो ! ज्योतिर्मय हो हृदय तुम्हारा , सबको  हृदय लगाना सीखो !! धन से बढ़ कर व्यौहार तुम्हारा , लक्ष्य यही दर्शाना है !! कौन यहाँ पर अपना है , कौन यहाँ बेगाना है !! !! ज्योति प्रकाश राय !!

परिवर्तन

कुदरत ने एक पुस्तक दी है 365 पेज की, जो बराबर है हम सबके एज की ! इसके रचनाकार भी हम और आप होंगे, लिखेंगे वही जो पुण्य और पाप होंगे !! वक़्त की तरह हर पेज खुद बदल जायेगा, जो गया वो फिर कब लौट पायेगा ! कोरे पन्नों पर जिंदगी की जागीर लिख दो, बड़ी सुन्दर हो ये 2019 की पुस्तक, कर्म रूपी कलम से अपने पन की तस्वीर लिख दो !! !! ज्योति प्रकाश राय !! 

बदलते वक़्त की हकीकत

साल ख़त्म हो जाने से जिंदगी ख़त्म नहीं होगी ! सपने टूट जाने से बन्दगी ख़त्म नहीं होगी !! स्वच्छ भारत कह देने से तस्वीर नहीं बदलती ! जब तक विचार नहीं बदलेंगे गन्दगी ख़त्म नहीं होगी !! !! ज्योति प्रकाश राय !!