विषय - नारी ( स्त्री ) रग रग में जिसके ममता है कण कण में बसी छवी जिसकी वह माता भी इक नारी है क्या कल्पना करे कवी इसकी नारी गीता नारी गंगा नारी पृथ्वी सब ओज रही नारी है तो जीवन है फिर क्यूं सब पर बोझ रही युगों युगों की बात करूं क्या अमर वीरांगना भूला कौन मणिकर्णिका बढ़ी बनारस हुंकार युद्ध का भूला कौन नाम था जिसका लक्ष्मीबाई भारत मुक्त कराने आई लोहा लिया फिरंगी संग देश पर अपनी जान लुटाई आश्रित है जग जीवन जिसपर वह प्रकृति स्त्री में आती है यदि धरा धरोहर हम समझे वह जीवन सरल बनाती है इतिहास भरा है स्त्री से आकाश कल्पना चढ़ धाई प्रधान इंदिरा गांधी पहली पाटिल राष्ट्रपति बन आयी महिलाओं का परचम लहराया जब दौड़ लगाया बेटी ने भारत का मस्तक नभ छाया जब रौब जमाया बेटी ने स्वर्ण पदक और विजय तिलक सब पर अधिकार जमाना सीखा स्त्री नहीं अधीन किसी के रण में कौशल दिखलाना सीखा मिर्ज़ा नेहवाल देश का गौरव सिंधु जीत की परिभाषा स्त्री को उचित सम्मान मिले यह ज्योति करे सबसे आशा बस प्यार चाहिए यथा उचित अनुशासन नहीं भंग होगा घर घर सम्मान मिले स्त्री को पुरुष नहीं बदरंग होगा।। नाम - ज्योति प्रकाश राय पिता - श्री संत
मेरी कविता और कहानी और अन्य रचनाओं का एक संग्रह है, यह मेरी उपलब्धियों को मेरे साथ बनाये रखने में मेरी मदद करता है। मेरा ब्लॉग भी मेरी पहचान का एक साधन है। ज्योति प्रकाश राय I have a collection of poetry and story and other compositions, it helps me keep my achievements with me. My blog is also a tool for my identity. Jyoti Prakash Rai