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Showing posts from December, 2018

माँ की याद

ऐ जिंदगी ! फिर से वही बसेरा दे जा कानों में गूंजे बस माँ की आवाजें  फिर से वही सवेरा दे जा !! खुद को समेट छोटा बन जाऊँ  कुछ ऐसी तरकीब बता जा !! फिर माँ के हाथों खाना खाऊं  फिर वही नसीब दिखा जा !! सहलाये माँ जिन हाथों से  फिर से वही ठठेरा दे जा ! ऐ  जिंदगी ! फिर से वही बसेरा दे जा  रात वही फिर हो जाने दे  सब कुछ उसमे खो जाने दे  बस एक कहानी माँ से सुन लूँ  फिर से मुझको सो जाने दे  कानों में गूंजे बस माँ की आवाजें  फिर से वही अँधेरा दे जा ! ऐ जिंदगी ! फिर से वही बसेरा दे जा !! !! ज्योति प्रकाश राय !!

चंचल मन

पंछी से ऊपर उड़ जाऊँ मै आज गगन को चूमूंगा ऐ मुश्किल घड़ियाँ पीछे हट जा मै आज गगन में घूमूंगा !! बह रही पवन में जो खुशबू उसका अहसास जरा कर लूँ दिख रही धरा की सुंदरता नेत्रों से समेट समेट भर लूँ !! ऐ मानव जीवन के प्राणी कद से ऊपर उठ कर देखो हर चछु में सुन्दर छवि है निर्छल मन से सब जग देखो !! कहता है अम्बर सुन प्राणी धरती पर तुझे किनारा है जी चाहे जितना ऊपर उड़ धरती पर तुझे सहारा है !! !! ज्योति प्रकाश राय !!