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Showing posts from January, 2024

स्त्रीयों का द्वेष

(इसमें तीन स्त्रियाँ सही हैं, तो तीन स्त्रियाँ गलत भी हैं) एक औरत ही औरत के दुःख का कारण होती हैं वह खुद ही द्वेष बढ़ाती हैं खुद ही बैठ के रोती हैं जब तक माँ बेटी होती हैं हर कष्ट खुशी से सहती हैं बन गयी बहू तो फिर सातवें आसमान पर रहती हैं दिन रात पहाड़ा पढ़ती हैं और नही चैन से सोती हैं वह खुद ही द्वेष बढ़ाती हैं खुद ही बैठ के रोती हैं एक बहू के आने से सास बन गयी सभी में ख़ास सास कहे बात सुनो कहूँ भला क्या जूना इतिहास अपमानित कर स्त्री को ईर्ष्या के बीज वो बोती हैं वह खुद ही द्वेष बढ़ाती हैं खुद ही बैठ के रोती हैं ननद बनी वह भी स्त्री भाभी बनी जो वह भी स्त्री देवरानी बनी वह भी स्त्री जेठानी बनी वह भी स्त्री बात करें वो बढ़ चढ़ कर आप ही आपा खोती हैं वह खुद ही द्वेष बढ़ाती हैं खुद ही बैठ के रोती हैं इतिहास गवाह है युग युग से एक से दो यदि हो जाएं भगवान ही जाने दिन बीते रात शान्ति से सो जाएं गांधारी द्रौपदी सिया सुपर्णखा सुरुचि सुनीति होती हैं वह खुद ही द्वेष बढ़ाती हैं और खुद ही बैठ के रोती हैं यदि स्त्री स्त्री को समझे परिवार नही फिर बिगड़ेगा स्नेह - प्रेम घर बरसेगा और स्वर्ग धरा पर उतरे

अयोध्या की व्याकुलता (गीत)

अयोध्या थी बड़ी व्याकुल कहाँ अब राम आयेंगे अयोध्या है बड़ी हर्षित हमारे राम आयेंगे थी सूनी हर गली अपनी था सूना हर महल अपना अयोध्या नाथ बिन तुम्हरे अयोध्या थी महज सपना प्रकाशित हो उठी गलियाँ मेरे भगवान आयेंगे अयोध्या है बड़ी हर्षित हमारे राम आयेंगे दरश पाने की हो इच्छा तो शबरी माँ सी भक्ती हो हृदय में धैर्य हो अपने भले ही तन की मुक्ती हो अंतिम क्षण में आ कर के वो जूठे बेर खायेंगे अयोध्या है बड़ी हर्षित हमारे राम आयेंगे भरोसा था विभीषण को मिलेंगे राम चिंतन से कहाँ मालूम था जग को जितेंगे प्रभु दसानन से रहो चाहे जहाँ जग में सियापति मिल ही जायेंगे अयोध्या है बड़ी हर्षित हमारे राम आयेंगे अयोध्या फिर हुई जगमग प्रतिष्ठा प्राण की होगी लखण, रिपुसूदन, भरत के बाण की होगी हनुमत भक्त यह बोले नदी सरयू नहायेंगे लिख ज्योति यह बोले अयोध्या दर्शन को जायेंगे अयोध्या है बड़ी हर्षित हमारे राम आयेंगे अयोध्या थी बड़ी व्याकुल हमारे राम आयेंगे अयोध्या है बड़ी हर्षित हमारे राम आयेंगे ज्योति प्रकाश राय