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मन के हारे हार, मन के जीते जीत

ईश्वर की कृपा से अगर आपका शरीर क्रियाशील है तो फिर आपको यह कभी नहीं सोचना चाहिए की यह कार्य बहुत कठिन है अथवा यह मुझसे नहीं होगा। आधुनिक युग में मनुष्य ही मात्र वह प्राणी है जो संसार को स्वचलित बनाये रख सकता है। यदि आप किसी कार्यालय में नौकरी करने जाते हैं तो आप वहाँ के बारे में कुछ नहीं जानते रहते हैं, लेकिन मन में यह लगन बनी रहती है की मुझे यह काम करना है तो आप उसे गलत करते हुये भी सही ढंग से करने के प्रयास में लगे रहते हैं और आखिर कार आप उस कार्य में सफल भी हो जाते हैं।
सफल होने के लिए आपके विचार आपका मस्तिष्क एक जुट होकर खुद पर विश्वास करते हुये काम करना अति आवश्यक है। 
कई बार ऐसा होता है की हम जिंदगी के ऊपर सब कुछ निर्भर कर लेते हैं कि जिंदगी जहाँ चाहे ले जाये, या जो भाग्य में लिखा होगा वही होगा।  इस तरह की कल्पनायें करना भी कायरता कहलाती है, और अगर आपको खुद पर विश्वास है तो आप कायर नहीं हो सकते।  एक बार की बात है प्राचीन काल के राजा चन्द्रगुप्त एक समय मन से हार मान गए थे कि खुद उनकी सेनाओं में विद्रोह हो गया है और वो कुछ नही कर सकते, उस समय उनके मन में बस एक ही बात चल रही थी की अब वही होगा जो मेरे भाग्य में लिखा होगा। 
तब राजा को प्रोत्साहित करने का काम चाणक्य जी ने किया था।  उन्होंने कहा कि आप सोचते हो, जो भाग्य में लिखा होगा वही होगा, महाराज ऐसा नहीं है।  हो सकता है जो भाग्य में लिखा होगा वह आपके प्रयास करने पर होगा, और अगर आप प्रयास नहीं करते हैं तो परिणाम कुछ और ही होगा और यदि आप लगन से वही काम करें तो आपका परिणाम आपको संतुष्ट करने योग्य ही होगा। 
तत्पश्चात राजा के मन में फिर से राज कार्य करने की शक्ति उत्पन्न हुई क्योंकि अब राजा खुद पर विजय प्राप्त कर चुका था। धन्यवाद 

!! ज्योति प्रकाश राय !!
लेख ०६-०५-२०१९ 

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