आप सभी को रंगो और उमंगो से भरे त्यौहार ,
होली की ढेर सारी शुभकामनायें
होलिका दहन हुई, प्रह्लाद अग्नि बीच रहे !
भक्त वो मिटे कहाँ, प्रभू जिसे सींच रहे !!
ध्रुव को तार-तार किया, किसी अहंकार ने
ॐ हरी-हरी तब, लगे ध्रुव पुकारने
प्याला हरी नाम पिये, बैठे धरा बीच रहे !
भक्त वो मिटे कहाँ, प्रभू जिसे सींच रहे !!
विष्णु ज्ञान राग भरे, नभ में जगमगा रहे
मय के अहंकार में, मनुष्य डगमगा रहे
प्रगति सीधे हाँथ में, आड़े हाँथ खींच रहे !
भक्त वो मिटे कहाँ, प्रभू जिसे सींच रहे !!
आओ सभी भस्म करें, अपने-अपने पाप को
ज्योति प्रज्वलित करें, ज्योति से मिलाप को
आज फिर प्रमाण मिला, सत्य सबके बीच रहे !
भक्त वो मिटे कहाँ, प्रभू जिसे सींच रहे !!
!! ज्योति प्रकाश राय !!
होली की ढेर सारी शुभकामनायें
होलिका दहन हुई, प्रह्लाद अग्नि बीच रहे !
भक्त वो मिटे कहाँ, प्रभू जिसे सींच रहे !!
ध्रुव को तार-तार किया, किसी अहंकार ने
ॐ हरी-हरी तब, लगे ध्रुव पुकारने
प्याला हरी नाम पिये, बैठे धरा बीच रहे !
भक्त वो मिटे कहाँ, प्रभू जिसे सींच रहे !!
विष्णु ज्ञान राग भरे, नभ में जगमगा रहे
मय के अहंकार में, मनुष्य डगमगा रहे
प्रगति सीधे हाँथ में, आड़े हाँथ खींच रहे !
भक्त वो मिटे कहाँ, प्रभू जिसे सींच रहे !!
आओ सभी भस्म करें, अपने-अपने पाप को
ज्योति प्रज्वलित करें, ज्योति से मिलाप को
आज फिर प्रमाण मिला, सत्य सबके बीच रहे !
भक्त वो मिटे कहाँ, प्रभू जिसे सींच रहे !!
!! ज्योति प्रकाश राय !!
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