Skip to main content

अम्मा

एक ख्वाब सजाया था मैंने, अम्मा का दुःख दूर करूँगा मै।  
एक कसम उठाई थी मैंने, अम्मा का कष्ट हरूँगा मै।।

जो बीता खेल लड़कपन का, वो ख्वाब मिटाई रातों में। 
जिस तरह बढ़ी दुनिया मेरी, वो कसम भुलाई बातों में।। 

अपनी खुशियों की खातिर, सबका बलिदान करूँगा मै। 
एक ख्वाब सजाया था मैंने, अम्मा का कष्ट हरूँगा मै।।

पढ़ने जाता जब विद्यालय, गुरुजन को शीश झुकाता था।  
यदि नाम लिया गुरु ने मेरा, मै मन ही मन इतराता था।।

वादा था उनसे भी ऐसा, जग में नाम करूँगा मै। 
एक ख्वाब सजाया था मैंने, अम्मा का कष्ट हरूँगा मै।।

उनके भी वादे भूल गया, अब याद नहीं है नाम उनका। 
सद्गुण की शिक्षा लुप्त हुई, लुप्त हुआ परिणाम उनका।। 

बचपन की यारी जिन्दा है, छुट्टी के किसी महीनें में। 
मिलता नहीं सुकूँ पल भर, परिश्रम के आज पसीने में।।

मित्रों से मिलने की कोशिश, फिर से भरपूर करूँगा मै।  
एक ख्वाब सजाया था मैंने, अम्मा का कष्ट हरूँगा मै।। 

मै किया बसेरा शहरों में, गांव से रिश्ता छूट गया। 
जो ख्वाब दिखाई थी मइया, वो ख्वाब कहीं से टूट गया।। 

उन रिश्ते, नाते ख्वाबों को, फिर से साकार करूँगा मै। 
ज्योति जला कर सद्गुण का, सब में प्रकाश भरूंगा मै।। 

एक ख्वाब सजाया था मैंने, अम्मा का दुःख दूर करूँगा मै। 
एक कसम उठाई थी मैंने, अम्मा का कष्ट हरूँगा मै।।

!! ज्योति प्रकाश राय !!

Comments

Popular posts from this blog

देवी माँ की आरती

 तुम्ही हो दुर्गा तुम्ही हो काळी तुम ही अष्टभुजाओं वाली तुम ही माता भारती,है आरती है आरती, है आरती..........  पड़ा कभी जब कष्ट से पाला तुमने आ कर हमें सम्हाला जब भी तुमको याद किया माँ तुमसे जब फरियाद किया माँ हो कष्ट सभी तुम टाराती, है आरती है आरती, है आरती............ हिंगलाज में तुम्ही हो मइया पालनहार और तुम्ही खेवइया रक्तबीज को तुम्ही संहारा भैरव को तुमने ही उबरा तुम ही सबको सँवारती, है आरती है आरती, है आरती...........  पहली आरती मणिकर्णिका दूसरी आरती विंध्याचल में तिसरी आरती कड़े भवानी चौथी आरती माँ जीवदानी पाँचवी यहाँ पुकारती, है आरती है आरती, है आरती.............. कहे ज्योति हे शैल भवानी अरज सुनो दुर्गा महारानी विपदा सबकी पल में हर लो दया दृष्टि हम पर भी कर लो मेरि आँखें राह निहारती, है आरती है आरती, है आरती..........।। ज्योति प्रकाश राय भदोही, उत्तर प्रदेश

पानी

 हो गई बंजर ज़मी और आसमां भी सो रहा पानी नही अपने यहाँ हाय यह क्या हो रहा युगों युगों से देश में होती नही थी यह दशा व्यर्थ जल बहाव में आज आदमी आ फसा पशु पक्षियों में शोर है संकट बहुत घनघोर है देखे नही फिर भी मनु लगता अभी भी भोर है बूंद भर पानी को व्याकुल बाल जीवन हो रहा पानी नही अपने यहाँ हाय यह क्या हो रहा उनको नही है पता जिनके यहा सुविधा भरी देख ले कोई उन्हे खाली है जिनकी गागरी बहे जहा अमृत की गंगा यमुना नदी की धार है उस नगर उस क्षेत्र में भी पेय जल में तकरार है सो गई इंसानियत रुपया बड़ा अब हो रहा पानी नही अपने यहाँ हाय यह क्या हो रहा अब भी नही रोका गया व्यर्थ पानी का बहाना होगा वही फिर देश में जो चाहता है जमाना संदेश दो मिल कर सभी पानी बचाना पुण्य है पानी नही यदि पास में तो भी ये जीवन शून्य है पानी बचे जीवन बचे ज्योति उज्ज्वल हो रहा ईश्वर करे आगे ना हो व्यर्थ जो कुछ हो रहा ज्योति प्रकाश राय भदोही, उत्तर प्रदेश

सरस्वती वंदना

हे बुद्धि देवी हे ज्ञान दायिनी, हे वीणा वादिनी हे सरस्वती हे हंसवाहिनी, हे ब्रह्मा प्रिया तुमसे है मिटती चक्षु निशा, तुमसे है जलता हिय दिया निशि प्रातः करू मै वंदना, तुमको समर्पित कामिनी हे बुद्धि देवी हे ज्ञान दायिनी, हे वीणा वादिनी।। हे विद्या विद्यमाता, हे पुस्तक धारिणी तुमसे है बहती ज्ञान गंगा, तुमसे है ज्योति दिव्यमान उत्तपन्न तुमसे है मधुरता, तुमसे है यह भारत महान खण्डित ना हो भारत धरा, रक्षा करो सौदामिनी हे बुद्धि देवी हे ज्ञान दायिनी, हे वीणा वादिनी।। हे ज्ञान की सुधामुरती, हे देवी हंसासना तुमसे है उज्ज्वल भविष्य सबका तुमसे है मिथ्या हारती उत्त्पन्न तुमसे है सत्य निष्ठा तुमसे है जग मां भारती हमे सत्य पथ पर अडिग करना हे रूप सौभाग्य दायिनी हे बुद्धि देवी हे ज्ञान दायिनी, हे वीणा वादिनी।। हे शास्त्र रूपी  हे ब्रह्मजाया, हे देवी चंडिका तुमसे सुशोभित ज्योति विद्या तुमसे है जीवन साधना तन मन धन समर्पित है तुम्हें आशीष दो हे निरंजना भटके नहीं हम धर्म से विपदा हरो मां सुवासिनी हे बुद्धि देवी हे ज्ञान दायिनी, हे वीणा वादिनी।। ।। ज्योति प्रकाश राय ।। ( उज्जवल )