चिड़ियों के चहचहाने की आवाज अब आने लगी
जैसे प्रभात हो रहा इस भांति वो जगाने लगी।
सूर्य की किरणों के साथ विश्वास रग में आ रहा
उत्साह संग उमंग रूपी भाव सब पे छा रहा।
भोर बीती दिन चढ़ा अब सूर्य शक्तिमान है
पितु-मातु, गुरु की वंदना करे जो ज्ञानवान है।
आशीष का भागी बने सहयोग सबका कीजिए
पाप-प्याला त्याग कर पुण्य रस को पीजिए।
कर्म जैसा भी करो परिणाम होगा नेत्र में
सद्गुण रहा यदि आप में तो नाम होगा क्षेत्र में।
सीखना है यदि तुम्हे लहरों से जीवन सीख लो
संघर्ष मय जीवन जियो मत किसी से भीख लो।
सीख लो कुछ पर्वतों से जो धूप, वर्षा सब सहे
आँधियों में भी अडिग रहे अपनी व्यथा वो कब कहे।
पौधों से भी कुछ सीख लो फल रखते नहीं अपने लिए
छाया करे निःस्वार्थ वो टहनियों के संग सपने लिए।
सीख लो कुछ ज्योति से अंधेरों को चीरता चले
अमावसी निशा मिटे नन्हा सा जब दिया जले।
विश्वास अब आया रगो में भाव सब पे छा गया
उत्साह संग उमंग लिए सूर्य नभ में आ गया।
!! ज्योति प्रकाश राय !!
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