कोई जब मुझको सताता है
मां की याद आती है।
सेठ जब गुस्सा दिखता है
मां की याद आती है।।
मै जब तन्हा रहता हूं
मां की याद आती है।
मै जब गुन्हा करता हूं
मां की याद आती है।।
ये शहर कैसा है, जो सबको भूल बैठा है।
टहनियां तोड़ कर अपनी, किनारे फूल बैठा है।।
मै जब फूल उठाता हूं
मां की याद आती है।।
मै जब मुस्कुराता हूं
मां की याद आती है।।
यहां जब शाम होती है
मां की याद आती है।।
बिजलियां जब आम होती है
मां की याद आती है।।
ये शहर कैसा है, की रिश्तों से आगे पैसा है
मेरा गांव ही प्यारा है, जहां प्रेम ही पैसा है
जब लोग अपने मिलते हैं
तो जैसे गांव मिलता है।।
जब बिछड़े यार मिलते हैं
तो जैसे छांव मिलता है।।
कोई जब कहानी सुनाता है
मां की याद आती है।।
कोई जब गीत गाता है
मां की याद आती है।।
ये कैसी लगन है कि शहर आना पड़ा है
ये कैसी घुटन है कि जहर खाना पड़ा है।।
मै शहर से मुंह मोड़ लूंगा
इसने छुड़ाया मेरा गांव
मै इसे छोड़ दूंगा।।
मै तेरे साथ रहूंगा मां
तेरा सहारा बन कर
तू नदी है मेरे जीवन की
मै तुझसे जुड़ा हूं किनारा बनकर
मै ज्योति हूं तेरा, प्रकाशित कर मुझे
ये जीवन कर्ज है तेरा, समर्पित है तुझे
।। ज्योति प्रकाश राय ।।
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