काट दो जंगल, बना दो रास्ता
ना कोई पौध होगा फिर यहां
ना कोई जीव जीवन जीयेगा फिर यहां
बनों खुद #जंगली, है खुदा का वास्ता
काट दो जंगल, बना दो रास्ता।।
पीर क्या होती है ? मानव क्या समझ पाएगा कभी ?
क्या किसी को प्यास में, पानी पिलाएगा कभी ?
जब हाल है ऐसा अभी, आगे लिखूं क्या दास्तां ?
बनो खुद #जंगली, है खुदा का वास्ता
काट दो जंगल, बना दो रास्ता।।
अभी तक तो चल रहा, कुछ ज्ञान से कुछ धर्म से
सम्मुख जो आएगी घड़ी, जलती रहेगी गर्म से
ना धरा का मान होगा, ना ही प्रभु सम्मान होगा
ना ही जीवित होगी वनस्पति, हर जगह अपमान होगा
जंगली बन कर मरेगा, मानव ही खुद को त्रास्ता
बनो खुद #जंगली, है खुदा का वास्ता
काट दो जंगल, बना दो रास्ता।।
।। ज्योति प्रकाश राय ।।
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