भोर हो चुकी है, दिन निकल रहा है
उठ जाओ प्यारे बच्चों, मौसम बदल रहा है
चढ़ता है जैसे सूरज, आकाश को समेटे
बढ़ जाओ तुम भी पथ पर, विश्वास को समेटे
उज्ज्वल भविष्य होगा, आशीष लो बड़ों से
तुम ही हो कल का भारत, वज्र बन जड़ों से
भारत भी होगा उज्वल, जब वीर तुम बनोगे
देखेगी शौर्य दुनिया, गंभीर तुम बनोगे
पर्वत समान बल है, हाथों को अपने जानों
आंधी के जैसी क्षमता, तुम हार नहीं मानो
गहराई है सिंधु जैसी, मिटना नहीं कभी भी
लहरों के जैसी दृढ़ता, थकना नहीं कभी भी
अलौकिक है ज्योति तुममें, बुझना नहीं कभी भी
हिम गिरि समान हो तुम, झुकना नहीं कभी भी
उज्वल भविष्य होगा, यही हल निकल रहा है
उठ जाओ प्यारे बच्चों, मौसम बदल रहा है
।। ज्योति प्रकाश राय ।।
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