अब कौन मौन रह सकता है किसका रक्त नही डोलेगा
तू ही बतला ऐ हिंदुस्तां क्या अब भी भक्त नही बोलेगा
धर्म भक्त और देश भक्त दोनों ने मन में यह ठाना है
अपना अस्तित्व न गिर जाए मिल कर हमे बचाना है
क्या संविधान के नियमों का पालन हमको ही करना है
क्या एक गाल खा कर थप्पड़ दूजा भी आगे करना है
चुप चाप सहें और सुने गालियाँ क्या यही धर्म हमारा है
आगे बढ़ कर रण लो वीरों दुश्मन हमको ललकारा है
उठने लगे हैं हाथ जहा भी उन हाथों को वही मरोड़ो तुम
घर में रह कर जो आँख दिखाये उसे नही अब छोड़ो तुम
ध्यान करो माँ काली का शिव के त्रिशूल का ध्यान करो
माथे तिलक धैर्य व साहस खुद को फिर से बलवान करो
सुलग रहा है देश जिधर उस ओर मेघ बन छा जाओ
हाहाकार मचा कर पल में शत्रु शक्ति को खा जाओ
चहुँ ओर क्रूरता जो फैली अपने ही अपनो से हारे हैं
देखो सब वही दरिंदे हैं जो भारत पर पत्थर मारे हैं
धैर्य से ऊपर उठकर अब सरदार पटेल सा जोश भरो
जय जय श्री राम के नारों से दुश्मन को तुम बेहोश करो
गुंजायमान हो नभ मंडल हनुमत हुन्कार भरो वीरों
जिस ओर बढ़ो लहरा दो भगवा बैरी संहार करो वीरों
जन्नत मिल जाए इन्हे अभी राणा प्रताप सा बढ़ जाओ
लेकर भाला और ढाल अरि के मस्तक पर चढ़ जाओ
है वीर शिवा की आन ज्योति हिंदुत्व धरा संग गंगा हो
मिट जाए बैरी अहंकार फिर से न कभी अब दंगा हो
ज्योति प्रकाश राय
भदोही, उत्तर प्रदेश
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