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महिमा अपने क्षेत्र की ( जिला भदोहीं )

जिला भदोहीं रंग निराला, कालीन नगर कहावे !
बोली में है प्रेम की भाषा, हर्षित मन हो जावे !!
मुख्य कार्यालय और तहसील, "ज्ञानपुर " राजे !
जेल-कचहरी आसपास संग, हरिहर घंटा बाजे !!


बाइस मौजा क्षेत्र है मूसी, बसे राय सब ज्ञानी !
रहे अलग पर बनी एकता, एक रहे मृदुबानी !!
आगे बढ़ चलो बाजार पुकारे, गोपीगंज हमारा !
सुविधा है संभव सब कुछ, बस और रेल के द्वारा !!

जाओ काशी या प्रयाग, या विंध्य धाम तुम जाओ !
निकलो घर से सुमिरि पवन सुत, सुन्दर दर्शन पाओ !!
आगे चले जहाँ कुछ, है इतिहास पुराना !
जंगीगंज के शाही सड़क पर, जिसका बना निशाना !!


था वीर विजय भान सिंह, सिरोही गांव का वासी !
रक्षा करता रंक समाज का, यूँ बना रहे उदवासी !!
लम्बी यह कथा नहीं है छोटी, चलो कदम दो - चार !
नमन करो सेमराध नाथ को, आ गये शिव के द्वार !


लगता श्रावण मास  में मेला, गूंजे बम-बम बोल !
प्रतिदिन आते भक्त यहाँ पे, बजे नगारे-ढोल !!
दक्षिण चलें जरा हम देखें, कोनिया बड़ा ही प्यारा !
तीन तरफ से गंगा बहती, जीवन धन्य हमारा !!


स्थल सिया समाहित का, करता जग उजियारा !
निकट खड़े हैं राम दूत, जो है श्री राम दुलारा !!
यह पुण्य धाम है सीतामढ़ी, यहाँ वीर दो बालक !
नाम है जिनका लव और कुश, वाल्मीकि थे शिक्षक !!


पले बढ़े वे इसी नगर में, यहीं पे शिक्षा पाई !
हुआ युद्ध इक अश्व के खातिर, आ गए खुद रघुराई !!

कुछ ही दूर पे बसा इटहरा, नाम बड़ा प्रख्यात है !
शिव के तप से मिली प्रसिद्धि, गंगेश्वर धाम सुविख्यात है !!
लगता मेला हर शिवरात्रि, पावन धाम निराला !
रहते साधु जहाँ पे हर दम, मस्त मगन मतवाला !!


पश्चिम दिशा ग्राम है कूँड़ी, हनुमत की है छाया !
जन-जन करते प्रतिदिन पूजन, मंदिर भव्य बनाया !!
उत्तर में है गांव भटगवां, माँ शायर करे निवास !
मनोकामना पूर्ण है करती, कहते ज्योति प्रकाश !!  

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देवी माँ की आरती

 तुम्ही हो दुर्गा तुम्ही हो काळी तुम ही अष्टभुजाओं वाली तुम ही माता भारती,है आरती है आरती, है आरती..........  पड़ा कभी जब कष्ट से पाला तुमने आ कर हमें सम्हाला जब भी तुमको याद किया माँ तुमसे जब फरियाद किया माँ हो कष्ट सभी तुम टाराती, है आरती है आरती, है आरती............ हिंगलाज में तुम्ही हो मइया पालनहार और तुम्ही खेवइया रक्तबीज को तुम्ही संहारा भैरव को तुमने ही उबरा तुम ही सबको सँवारती, है आरती है आरती, है आरती...........  पहली आरती मणिकर्णिका दूसरी आरती विंध्याचल में तिसरी आरती कड़े भवानी चौथी आरती माँ जीवदानी पाँचवी यहाँ पुकारती, है आरती है आरती, है आरती.............. कहे ज्योति हे शैल भवानी अरज सुनो दुर्गा महारानी विपदा सबकी पल में हर लो दया दृष्टि हम पर भी कर लो मेरि आँखें राह निहारती, है आरती है आरती, है आरती..........।। ज्योति प्रकाश राय भदोही, उत्तर प्रदेश

पानी

 हो गई बंजर ज़मी और आसमां भी सो रहा पानी नही अपने यहाँ हाय यह क्या हो रहा युगों युगों से देश में होती नही थी यह दशा व्यर्थ जल बहाव में आज आदमी आ फसा पशु पक्षियों में शोर है संकट बहुत घनघोर है देखे नही फिर भी मनु लगता अभी भी भोर है बूंद भर पानी को व्याकुल बाल जीवन हो रहा पानी नही अपने यहाँ हाय यह क्या हो रहा उनको नही है पता जिनके यहा सुविधा भरी देख ले कोई उन्हे खाली है जिनकी गागरी बहे जहा अमृत की गंगा यमुना नदी की धार है उस नगर उस क्षेत्र में भी पेय जल में तकरार है सो गई इंसानियत रुपया बड़ा अब हो रहा पानी नही अपने यहाँ हाय यह क्या हो रहा अब भी नही रोका गया व्यर्थ पानी का बहाना होगा वही फिर देश में जो चाहता है जमाना संदेश दो मिल कर सभी पानी बचाना पुण्य है पानी नही यदि पास में तो भी ये जीवन शून्य है पानी बचे जीवन बचे ज्योति उज्ज्वल हो रहा ईश्वर करे आगे ना हो व्यर्थ जो कुछ हो रहा ज्योति प्रकाश राय भदोही, उत्तर प्रदेश

सरस्वती वंदना

हे बुद्धि देवी हे ज्ञान दायिनी, हे वीणा वादिनी हे सरस्वती हे हंसवाहिनी, हे ब्रह्मा प्रिया तुमसे है मिटती चक्षु निशा, तुमसे है जलता हिय दिया निशि प्रातः करू मै वंदना, तुमको समर्पित कामिनी हे बुद्धि देवी हे ज्ञान दायिनी, हे वीणा वादिनी।। हे विद्या विद्यमाता, हे पुस्तक धारिणी तुमसे है बहती ज्ञान गंगा, तुमसे है ज्योति दिव्यमान उत्तपन्न तुमसे है मधुरता, तुमसे है यह भारत महान खण्डित ना हो भारत धरा, रक्षा करो सौदामिनी हे बुद्धि देवी हे ज्ञान दायिनी, हे वीणा वादिनी।। हे ज्ञान की सुधामुरती, हे देवी हंसासना तुमसे है उज्ज्वल भविष्य सबका तुमसे है मिथ्या हारती उत्त्पन्न तुमसे है सत्य निष्ठा तुमसे है जग मां भारती हमे सत्य पथ पर अडिग करना हे रूप सौभाग्य दायिनी हे बुद्धि देवी हे ज्ञान दायिनी, हे वीणा वादिनी।। हे शास्त्र रूपी  हे ब्रह्मजाया, हे देवी चंडिका तुमसे सुशोभित ज्योति विद्या तुमसे है जीवन साधना तन मन धन समर्पित है तुम्हें आशीष दो हे निरंजना भटके नहीं हम धर्म से विपदा हरो मां सुवासिनी हे बुद्धि देवी हे ज्ञान दायिनी, हे वीणा वादिनी।। ।। ज्योति प्रकाश राय ।। ( उज्जवल )