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अपना परिचय

मै जगह आपके दिल में बनाने आया हूँ ,
                            महफिलों से कारवां सजाने आया हूँ। 
बड़ी दूर का सफर था, मै आप लोगों से बे-खबर था 
मीठे अल्फाज सुनने और सुनाने आया हूँ,
                             महफिलों से कारवां सजाने आया हूँ। 

जहाँ उद्योग कालीन का छाया है,
                               यह शख्स जिला भदोहीं से आया है
मै अपनी पहचान बताने आया हूँ,
                               महफिलों से कारवां सजाने आया हूँ।

यह संत पुत्र , आज मंच पर बोल रहा,
दो टूक शब्द जो लिख पाया, उसमे खुद को तोल रहा,
निखरेंगे शब्द पंक्तियों से, विश्वास दिलाने आया हूँ
                               महफिलों से कारवां सजाने आया हूँ।

अद्भुत और अलौकिक यह, रंग मंच इतिहास रहे,
वाह वाह क्या बात है के इस प्रांगण में,
                               कविवर ज्योति प्रकाश कहे। 
गीतों की माला ले कर, ह्रदय लगाने आया हूँ,
                                  महफिलों से कारवां सजाने आया हूँ।

।। ज्योति प्रकाश राय।। 

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