यदि आज के युग में भारत सीना तान कर दुश्मनों का सामना करने में सफलता प्राप्त कर रहा है तो वहीं देश को खोखला साबित करने में भी यहाँ की जनता कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है! हालात ये हो गए हैं की राजनितिक दलों को लेकर यहाँ हर कोई मर मिटने को तैयार हो जाता है और इसी तरह से माहौल को और हवा देने में कोई भी कसर नहीं छोड़ने वाली पार्टियाँ भड़काऊ बयान दे कर लोगों में आक्रोश पैदा कर लोगो के जन -जीवन को अस्त-व्यस्त करने में जुटी हुई हैं !
कानून के रक्षक ही आज कानून के भक्षक बने हुए फिर रहे हैं ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जैसे मानवता ख़त्म हो कर क्रूरता के वेश में दैत्य हर किसी को अपने वश में कर लिया हो और जहा चाहे जिसे चाहे नुकशान पंहुचा रहा हो ! हम बात कर रहे है कानून को पैदा करने, कानून को बढ़ावा देने, कानून का सञ्चालन करने वाले हमारे अपने देश की राजधानी दिल्ली शहर की ! एक तरफ जहा घरेलू विवाद या किसी अन्य समस्या को सुलझाने या उस समस्या को सूचित करने के लिए पुलिस चौकी में जाते हैं वही आज पुलिस यह तक देखने के लिए राजी नहीं है की उनके द्वारा चलाये गए पत्थर या हथियार कही किसी ऐसे व्यक्ति को चोट तो नहीं पंहुचा रहे हैं जो इस उथल-पुथल भरे माहौल से दूर कही रास्ता पार कर जा रहा हो !
नहीं उन पुलिसकर्मियों को आज ऐसा कुछ भी नही दिखाई दे रहा है उन्हें तो बस बदले की भावना को जलाये रखना ही नहीं बल्कि उसे और भी हवा देना है !
वकील संविधान के ज्ञाता कहे जाते हैं ! आज उन्ही अधिवक्ताओं ने कानून की धज्जिया उड़ाने में सारी हदें पार कर दी हैं लोग जिनके पास अपनी समस्या का हल पाने की आश लेकर जाते हैं आज उनका यह रूप देख कर हर प्राणी के मन में यह सवाल जरूर उठा होगा की यदि हमारे संविधान को बनाने और लोगो को नियमानुसार चलने की प्रेरणा देने वाले ही गलत राह अपनाये हुए हैं तो जनता का क्या होगा ?
आज जिस तरह से दिल्ली में विवाद ने जन्म लिया है ऐसा मन जा रहा है पूरा भारत इसकी चपेट में ना आ जाये!
लोगों का तो राजनीती से इतना विश्वास उठ चुका है की लोग कह रहे है कि हो न हो किसी राजनितिक दल का ही हाथ हो! तीसहजारी अदालत के अधिवक्ताओं ने आज यह साबित कर दिया है की वे जिस मेहनत और लगन के साथ संविधान की शिक्षा अर्जित किये हैं उन सब नियमो को तोड़ कर एक सामान्य और अनभिज्ञ प्राणी भी बन सकते है जिनकी तुलना किसी पागल या खूंखार इंसान से करने के बराबर होगा !
पूरा भारत जब किसी बड़े फैसले के इंतजार में निगाहें लगाए बैठा है ऐसे में उसी शहर से इस तरह की समस्या देश को अपने चपेट में लेने के लिए बढ़ रही है तो उच्च न्यायलय से सेवा निवृत्त हुए न्यायाधीश दीपक मिश्रा हर किसी के जुबान पर आ ही जाते हैं !
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