मुझमें भी उत्साह भर गया
जोश देख मजदूरों में
सूंघे महक पसीनो की
किस्मत है मगरुरों में
हमने वह खड़ी इमारत की
जिसमे वो आज सुरक्षित हैं
हमने ही उसके छत ढाले
और हम ही उससे वंचित हैं
हम श्रमिक हुए मजदूर हुए
इसमें क्या गलती मेरी थी
तू मालिक हुआ मुनाफे का
फिर भी क्यों जलती तेरी थी
जो रखे तिजोरी में पैसे
उसमे कुछ हिस्सा अपना है
हरदम श्रमिकों का हनन हुआ
अधिकार मिले यह सपना है
गली बंद बाजार बंद है
बंद जगत संसार है
मानवता की कर रहे तस्करी
मजदूर बना व्यापार है
खच्चर की तरह भरे श्रमिक से
पैसे लेकर व्यापार किए
ऐसे दुखदाई कलिकाल में
मजदूरों पर अत्याचार किए
मर गए बिना घर पहुंचे जो
क्या सेठ किराया भर देगा
भ्रष्टाचारी फौज परिवहन
क्या जीवन वापस कर देगा
कुचले रौंदे मजदूर गए
हर बार हनन गरीबों का
रणनीति लगाने घर बैठे
दिन रात मनन तरकीबों का
हर बार पिसे हैं दीन दुखी
उनका ही छिना निवाला है
हे ईश्वर साक्षी बन न्याय करो
जब ज्योति जले तो उजाला है
।। ज्योति प्रकाश राय ।।
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