हर व्यक्ति के भाग्य में, कुछ ना कुछ होना लिखा है ।
कर्मवीर बन, कर्म कर, होने दे जो होना लिखा है ।।
भाग्य था जीवित रहे, प्रहलाद कब चिंतन किये ।
हरि चेष्टा हर भाग्य पर, हरि स्वयं मंथन किये ।।
भाग्य था ध्रुव भक्त का, हरि गोद में जीवन खिला ।
जगमग करे आकाश में, लाखों में ध्रुव तारा मिला ।।
भाग्य था माता अहिल्या, श्री राम से मुक्ति मिली ।
भाग्य था जंगल बसी, सवरी को भी भक्ति मिली ।।
क्यूं व्यर्थ चिंता तू करे, भाग्य में क्या कैसा लिखा ।
परे हो जो मनु बुद्धि से, तू कर्म कुछ ऐसा दिखा ।।
कर्म ही प्रधान, कर्म ही महान, कर्म ही है ज्योति तेरा ।
कर्महीनता त्याग, तू जवान, छाया नहीं पथ अंधेरा ।।
संघर्ष कुछ परिपूर्ण कर, मत सोच अब रोना लिखा है ।
अडिग,अथक प्रयास कर,सफल भाग्य होना लिखा है ।।
हार मत स्वीकार कर, हार ना होना लिखा है ।
कर्मवीर बन,कर्म कर, होने दे जो होना लिखा है ।।
।। ज्योति प्रकाश राय ।।
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