इस बार दिवाली पर हमको मन का तिमिर मिटाना है
जग में दीप जले सो जले हृदयों में दीप जलाना है
असहाय वृद्ध घर दीप जले और हृदय प्रेम से वंदन हो
भूखे को भोजन, प्यासे को पानी तब ईश्वर अभिनंदन हो
जागृत हो दया भाव सब में कुछ ऐसा कर के दिखाना है
जग में दीप जले सो जले हृदयों में दीप जलाना है
उत्सव होगा नगर - नगर और दीप जलाए जाएंगे
चमकेगी हर गली - डगर भगवान बुलाये जाएंगे
अवश्य मिलेंगे राम लखन पर शबरी भाव बढ़ाना है
जग में दीप जले सो जले हृदयों में दीप जलाना है
यदि सक्षम हो बरसात करो दिल से असमर्थ गरीबों पर
उनका मन भी हो प्रसन्न खर्चो मत व्यर्थ अमीरों पर
यदि सोना बनना है हमको तो पहले स्वयं तपाना है
जग में दीप जले सो जले हृदयों में दीप जलाना है
मिट जाए ईर्ष्या - द्वेष मिटे टुटे घमण्ड और क्लेश कटे
सुखद सरल हो सबका जीवन पाप अंत अरु शेष कटे
हे सरस्वती हे महालक्ष्मी हे गणनायक अब आना है
जग में दीप जले सो जले हृदयों में दीप जलाना है
ज्योति प्रकाश राय
भदोही, उत्तर प्रदेश
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