अयोध्या थी बड़ी व्याकुल कहाँ अब राम आयेंगे
अयोध्या है बड़ी हर्षित हमारे राम आयेंगे
थी सूनी हर गली अपनी था सूना हर महल अपना
अयोध्या नाथ बिन तुम्हरे अयोध्या थी महज सपना
प्रकाशित हो उठी गलियाँ मेरे भगवान आयेंगे
अयोध्या है बड़ी हर्षित हमारे राम आयेंगे
दरश पाने की हो इच्छा तो शबरी माँ सी भक्ती हो
हृदय में धैर्य हो अपने भले ही तन की मुक्ती हो
अंतिम क्षण में आ कर के वो जूठे बेर खायेंगे
अयोध्या है बड़ी हर्षित हमारे राम आयेंगे
भरोसा था विभीषण को मिलेंगे राम चिंतन से
कहाँ मालूम था जग को जितेंगे प्रभु दसानन से
रहो चाहे जहाँ जग में सियापति मिल ही जायेंगे
अयोध्या है बड़ी हर्षित हमारे राम आयेंगे
अयोध्या फिर हुई जगमग प्रतिष्ठा प्राण की होगी
लखण, रिपुसूदन, भरत के बाण की होगी
हनुमत भक्त यह बोले नदी सरयू नहायेंगे
लिख ज्योति यह बोले अयोध्या दर्शन को जायेंगे
अयोध्या है बड़ी हर्षित हमारे राम आयेंगे
अयोध्या थी बड़ी व्याकुल हमारे राम आयेंगे
अयोध्या है बड़ी हर्षित हमारे राम आयेंगे
ज्योति प्रकाश राय
Comments
Post a Comment