ओ बाग लगाने वाले माली
मुझे बचाने वाले माली
तुमसे करूँ एक उम्मीद
मुझको होता सुखद प्रतीत
तुम्ही हो मेरे भाग्य विधाता
तुम्ही से मेरा जीवन है
तुम्ही से पुष्प सुगंधित हैं
तुम्ही से जीवित उपवन है
मुझे तोड़ कर हार बनाना
वर माला या द्वार बनाना
शोभा सदा बढ़ाऊँगा
यदि काम तुम्हारे आऊँगा
पर मेरी अर्जी अगर सुनोगे
जिस दिन उसके लिए चुनोगे
उस दिन मैं इतराउंगा
गुणगान तुम्हारे गाऊंगा
जब निकलेगी वीरों की टोली
गूंजेगी जय हिन्द की बोली
मैं भी शरहद पर बरसूँगा
चहुँ ओर सुगंधित कर दूँगा
हिन्द देश के झण्डे संग
जब जब लहराया जाता हूँ
मैं भारत भूमि को चूम चूम
इठलाता हूँ इतराता हूँ
बस एक निवेदन है माली
उपयोग करो सैनिक पथ पर
यह ज्योति प्रज्वलित रहे सदा
अपने नित दैनिक पथ पर
ज्योति प्रकाश राय
भदोही, उत्तर प्रदेश
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