आज रश्म-ए-वफ़ा निभाने चले हैं हम
हाँ टूट कर फिर मुस्कुराने चले हैं हम
कितना दर्द है मोहब्बत में जुदा होना
इस भरी महफ़िल में बताने चले हैं हम
रौशन है सारा संसार आज बिजली से
फिर भी दिल-ए-ज्योति जलाने चले हैं हम
उनके यादों को दबाना ऐसा लगता है
सागर की लहरों को दबाने चले हैं हम
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