मकर राशि में कर गए प्रवेश
मिट गया रोग कट गए क्लेश
धरा गगन तक बढ़ी मिठास
छाया जन - जन में उल्लास
खिचड़ी लोहड़ी है पर्व प्यारा
स्नान और दान है गर्व हमारा
लेडुआ ढुंढा लाई और गट्टा
चूड़ा दही दूध और मट्ठा
आलू दम का स्वाद लुभाए
सुन कर मुह में पानी आए
खेल कूद संग हँसी ठिठोली
चिड़िया चहकी कोयल बोली
गंगा जी हैं भू-लोक पधारी
धन्य हुए ऋषि-मुनि नर-नारी
भीष्म पितामह परलोक सिधारे
वसुदेव कृष्ण सन्मुख हो हारे
जय जय हो सूर्य देव नारायण
अभिनंदन है हो रहे उत्तरायण
ज्योति करे कर जोरि प्रार्थना
पूर्ण करो जन जन की साधना
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