कभी वो सुबह लिखते हैं
कभी वो शाम लिखते हैं।
मै जब भी उन्हें याद करता हूं
वो ख़त मेरे नाम लिखते हैं।।
मै जब भी उदास होता हूं
तन्हाइयां मुझे सताती हैं
वो अपनी मोहब्बत में
खुशी का पैग़ाम लिखते हैं
मै जब भी उन्हें याद करता हूं।
वो ख़त मेरे नाम लिखते हैं।।
हर शख्स दीवार उठाने आता है
मेरे और उनके मोहब्बत के दरमियान
वो हर दीवार गिराने का अंज़ाम लिखते हैं
मै जब भी उन्हें याद करता हूं।
वो ख़त मेरे नाम लिखते हैं।।
तारीफ में उनकी मै क्या क्या कहूं
बस इतना ही जान लेना खयाल उनका
वो दिल से नमस्ते कलम से सलाम लिखते हैं
मै जब भी उन्हें याद करता हूं।
वो ख़त मेरे नाम लिखते हैं।।
कभी वो शाम लिखते हैं।
मै जब भी उन्हें याद करता हूं
वो ख़त मेरे नाम लिखते हैं।।
मै जब भी उदास होता हूं
तन्हाइयां मुझे सताती हैं
वो अपनी मोहब्बत में
खुशी का पैग़ाम लिखते हैं
मै जब भी उन्हें याद करता हूं।
वो ख़त मेरे नाम लिखते हैं।।
हर शख्स दीवार उठाने आता है
मेरे और उनके मोहब्बत के दरमियान
वो हर दीवार गिराने का अंज़ाम लिखते हैं
मै जब भी उन्हें याद करता हूं।
वो ख़त मेरे नाम लिखते हैं।।
तारीफ में उनकी मै क्या क्या कहूं
बस इतना ही जान लेना खयाल उनका
वो दिल से नमस्ते कलम से सलाम लिखते हैं
मै जब भी उन्हें याद करता हूं।
वो ख़त मेरे नाम लिखते हैं।।
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