पंछी से ऊपर उड़ जाऊँ मै आज गगन को चूमूंगा
ऐ मुश्किल घड़ियाँ पीछे हट जा मै आज गगन में घूमूंगा !!
बह रही पवन में जो खुशबू उसका अहसास जरा कर लूँ
दिख रही धरा की सुंदरता नेत्रों से समेट समेट भर लूँ !!
ऐ मानव जीवन के प्राणी कद से ऊपर उठ कर देखो
हर चछु में सुन्दर छवि है निर्छल मन से सब जग देखो !!
कहता है अम्बर सुन प्राणी धरती पर तुझे किनारा है
जी चाहे जितना ऊपर उड़ धरती पर तुझे सहारा है !!
!! ज्योति प्रकाश राय !!
ऐ मुश्किल घड़ियाँ पीछे हट जा मै आज गगन में घूमूंगा !!
बह रही पवन में जो खुशबू उसका अहसास जरा कर लूँ
दिख रही धरा की सुंदरता नेत्रों से समेट समेट भर लूँ !!
ऐ मानव जीवन के प्राणी कद से ऊपर उठ कर देखो
हर चछु में सुन्दर छवि है निर्छल मन से सब जग देखो !!
कहता है अम्बर सुन प्राणी धरती पर तुझे किनारा है
जी चाहे जितना ऊपर उड़ धरती पर तुझे सहारा है !!
!! ज्योति प्रकाश राय !!
thanks
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