ऐ जिंदगी ! फिर से वही बसेरा दे जा
कानों में गूंजे बस माँ की आवाजें
फिर से वही सवेरा दे जा !!
खुद को समेट छोटा बन जाऊँ
कुछ ऐसी तरकीब बता जा !!
फिर माँ के हाथों खाना खाऊं
फिर वही नसीब दिखा जा !!
सहलाये माँ जिन हाथों से
फिर से वही ठठेरा दे जा !
ऐ जिंदगी ! फिर से वही बसेरा दे जा
रात वही फिर हो जाने दे
सब कुछ उसमे खो जाने दे
बस एक कहानी माँ से सुन लूँ
फिर से मुझको सो जाने दे
कानों में गूंजे बस माँ की आवाजें
फिर से वही अँधेरा दे जा !
ऐ जिंदगी ! फिर से वही बसेरा दे जा !!
!! ज्योति प्रकाश राय !!
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