वर्षों बीत जाते हैं घर को घर बनाने में
तुम्हें चंद घंटे लगते हैं घर को ढहाने में
गलतियाँ एक करे और सजा सब को
क्या वक्त लगा इस नियम को बनाने में
माना कि द्वेष बढ़ रहा है धर्म के लिए
पर क्या हासिल होगा छत गिराने में
जान लिया दोष किसका है कितना है
फिर चढ़ा दो फांसी सबक सिखाने में
अवैध निर्माण तक बुल्डोजर अच्छा था
ये सितम है सरकारी खौफ़ दिखाने में
ये अपने अपने रौब का प्रभाव है लोगों
गिर गई हैं नीतियाँ कुर्सियाँ गिराने में
खत्म हो रही इंसानियत हर इंसानों से
ना जाने क्या हो रहा है इस जमाने में
छोड़ दो ये सब आतंक सा लग रहा है
ता उम्र गुजारी है घर को घर बनाने में
ज्योति प्रकाश राय ❤
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