परिचय सुनूं या परिचय सुनाऊं
परिचय में क्या क्या यहां मै बताऊं
परिचय करा दूं इंसानियत का सबसे
जो सब में है रहता छिपी बात सबसे
भूख से तड़पता प्यास से विकल था
वृद्ध व्यक्ति ऐसा न उसके पास बल था
कराहता पुकारता दया की दृष्टि कर दो
हे भाग्य के विधाता नीर वृष्टि कर दो
हे सूर्य हे दिवाकर करुणामयी बनो तुम
किरणों को शून्य कर दो हे चंद्रमा तनो तुम
क्षिण शक्ति हो चुकी है असहाय हो चुका हूं
इंसानियत ख़तम है विश्वास खो चुका हूं
इंसानियत बचाने विश्वास को जगाने
धर्मराज चल पड़े हैं
इंसानियत है सब में यह बात फिर बताने
प्रभु आज चल पड़े हैं
उदंड एक राही चलता गया वहां से
इंसानियत का परिचय मिलता गया वहां से
आंखों से वृद्ध टुक टुक देखे न मुंह से बोले
राही चला था धुन में मस्ती में पांव डाले
अचानक रुका फिरा वह वृद्ध पास आया
क्षमा हे वृद्ध बाबा विलम्ब ज्ञान आया
सहारा मै बन रहा हूं आशीष चाहता हूं
इंसानियत बनी रहे हे जगदीश चाहता हूं
परिचय में ज्योति कहता प्रकाश ना बुझे यह
जीवित रहे मनुष्यता विश्वास है मुझे यह।।
।। ज्योति प्रकाश राय ।। (उज्जवल)
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