हद हो गइ अत्याचारों की इनमें हैवान समाया है ये बांग्लादेशी मुस्लिम हैं या मुस्लिम वाली काया है नोच रहे हैं कुत्ते बोटी बहन बेटियां भाग रही हैं छिप रही घरों के कोनों में रातों में भी जाग रही हैं जागो जागो कह कर के घर से बाहर निकल पड़े हैं इसी बहाने सभी दरिंदे हवस मिटाने मचल पड़े हैं चौराहों पर नग्न घुमाया जिसने चाहा उसने खाया शेख हसीना तुम्ही बताओ किसने सारा खेल रचाया है धिक्कार तुम्हारे जीवन पर तुम नर भक्षी मानव हो नही कुरान के ज्ञाता हो तुम दानव हो बस दानव हो जागो जागो कह देने से अब काम नही चलने वाला हाय हाय क्या करते हो दिल इनका नही बदलने वाला ये मुगलों के वंशज हैं अब सम्मुख इनके मत रोना मर्यादा शर्मसार हो जाए डर का बीज भी मत बोना तुम भी राणा के वंशज हो हो वीर शिवा के अनुयायी तन पर अपने भष्म लगाओ प्रगट करो काली माई जगदंब भवानी जाप करो कर में तलवार सम्हलो तुम सत्य सनातन डिगे नही अपना सम्मान बचा लो तुम अब बात शान की आई है परवाह नही अब जान बचे हिंदुत्व हमारा रहे सदा - सत्य - सनातन - सम्मान बचे देखे विश्व जगत तुमको हो संख्य करोड़ लड़ सकते हो जल्लादों का इन मुगलों का मस्तक मरोड़ लड़ सकत
मेरी कविता और कहानी और अन्य रचनाओं का एक संग्रह है, यह मेरी उपलब्धियों को मेरे साथ बनाये रखने में मेरी मदद करता है। मेरा ब्लॉग भी मेरी पहचान का एक साधन है। ज्योति प्रकाश राय I have a collection of poetry and story and other compositions, it helps me keep my achievements with me. My blog is also a tool for my identity. Jyoti Prakash Rai